Saturday 3 October 2015

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विज्ञान विश्व को चुनौती देते 20 प्रश्न 

By: Secret On: 17:54
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  • विज्ञान विश्व को चुनौती देते 20 प्रश्न    

    dmdeखगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि ब्रह्मांड का 95% भाग रहस्यमय श्याम ऊर्जा औरश्याम पदार्थ से बना है। श्याम पदार्थ को 1933 मे खोजा गया था जो कि आकाशगंगा और आकाशगंगा समूहों को एक अदृश्य गोंद के रूप मे बाँधे रखे है।। 1998 मे खोजीं गयी श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार गति मे त्वरण के लिये उत्तरदायी है। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने इन दोनो की वास्तविक पहचान अभी तक एक रहस्य है!

    2 जीवन कैसे प्रारंभ हुआ?

    originoflifeचार अरब वर्ष पहले किसी अज्ञात कारक ने मौलिक आदिम द्रव्य(Premordial Soup) मे एक हलचल उत्पन्न की। कुछ सरल से रसायन एक दूसरे से मील गये और जीवन का आधार बनाया। ये अणु अपनी प्रतिकृति बनाने मे सक्षम थे। हमारा और समस्त जीवन इन्हीं अणुओं के विकास से उत्पन्न हुआ है। लेकिन ये सरल मूलभूत रसायन कैसे, किस प्रक्रिया से इस तरह जमा हुये कि उन्होंने जीवन को जन्म दिया? डी एन ए कैसे बना? सबसे पहली कोशीका कैसी थी? स्टेनली-मिलर के प्रयोग के 50 वर्ष बाद भी वैज्ञानिक एकमत नहीं है कि जीवन का प्रारंभ कैसे हुआ? कुछ कहते है कि यह धूमकेतुओ से आया, कुछ के अनुसार यह ज्वालामुखी के पास के जलाशयों मे प्रारंभ हुआ, कुछ के अनुसार वह समुद्र मे उल्कापात से प्रारभ हुआ। लेकिन सही उत्तर क्या है?

    3 क्या हम ब्रह्मांड मे अकेले हैं?

    arewealoneशायद नहीं!
    खगोल वैज्ञानिक ब्रह्मांड के हर उस कोने को, मंगल ग्रह और ब्रहस्पति के चंद्रमा युरोपा से लेकर कई प्रकाश वर्ष दूर तारों तक खंगालना चाहते है,जहाँ जीवन के मूलभूत आधार द्रव जल की उपस्थिति संभव हो। कई रेडियो दूरबीन ब्रह्मांड के हर भाग से आते हुये रेडियो संकेतों को खंगालने मे लगे है लेकिन 1977 के wow संकेत के अतिरिक्त कोई सफलता नहीं मीली है। खगोल वैज्ञानिक अब सौर बाह्य ग्रहों के वातावरण मे जल और आक्सीजन की जाँच करने मे सफल हो गये है। हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा मे ही जीवन योग्य 60 अरब से ज्यादा ग्रह है, जिन पर परग्रही जीवन की तलाश मे अगले कुछ दशक काफ़ी रोमांचक होंगे।

    4 मानवता का आधार क्या है?

    dnaहमारा डी एन ए ही मानवता का आधार नहीं है। चिम्पांज़ी का डी एन ए मानव डी एन ए से 99% मेल खाता है वहीं केले का 50%! हमारा मस्तिष्क अधिकतर प्राणियों से बड़ा है लेकिन सबसे बड़ा नहीं है, लेकिन उसमें गोरील्ला के न्युरान से तीन गुना न्युरान (86 अरब) ठूँसे हुये है। मानव के अन्य प्राणी से अलग साबित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण गुण जैसे भाषा, उपकरण प्रयोग, दर्पण मे स्वयं को पहचानना अब कुछ प्राणीयों मे भी देखे गये हैं। शायद हमारी सभ्यता और उससे हमारे जीन पर पड़ने वाला प्रभाव (और विपरीत भी) मानव और प्राणी मे अंतर बनाता हो। वैज्ञानिक सोचते हैं कि पकाने की कला और अग्नि पर कुशलता ने शायद हमारे मस्तिष्क को विशाल होने मे मदद की है। यह भी संभव है कि हमारी सहकार्य की क्षमता और हुनर के आदान प्रदान की क्षमता हमारे विश्व को वानर विश्व की बजाये मानव विश्व बनाती हो।

    5 चैतन्य क्या है?

    consहम नहीं जानते है।
    हम यह जानते हैं कि चैतन्य मस्तिष्क के किसी एक भाग पर निर्भर ना होकर, उसके अनेक भागो के आपस मे सूचना के आदान प्रदान के लिये जुड़े होने पर निर्भर है। अब तक की सोच यह है कि यदि हम यह जान ले कि चेतना के लिये मस्तिष्क के कौनसे भाग जिम्मेदार है और किस तरह हमारा स्नायु तंत्र कार्य करता है तब हम चेतना के कार्य करने के ढंग को बेहतर तरीके से समझ पायेंगे और चेतना के प्रादुर्भाव होने के तरीके जान लेंगे। यह ज्ञान हमे कृत्रिम बुद्धि के निर्माण मे मदद करेगा जिससे हम न्युरान से न्युरान को जोडकर कृत्रिम मस्तिष्क बना सकेंगे। लेकिन इससे ज्यादा कठिन दार्शनिक प्रश्न यह है कि किसी वस्तु को चैतन्य होने की आवश्यकता ही क्यों है?
    एक सुझाव यह है कि ढेर सी सूचनाओं को जमा कर उनके संसाधन मे ऊर्जा नष्ट करने की बजाये वास्तविक और अवास्तविक तथ्यो मे अंतर जानने के लिये चैतन्य आवश्यक है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे हमे अब तक प्रकृति अनुसार अनुकूल होकर अपना अस्तित्व बचाये रखने मे मदद की है।

    6 हम सपने क्यों देखते है?

    dreamहम अपने जीवन का एक तिहाई भाग सोने मे व्यतित कर देते है। आप सोच सकते हैं कि जिस कार्य मे हम इतना समय देते है उसके बारे मे हम सब कुछ जानते होंगे। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी अंधेरे मे है कि क्यो हम सोते समय सपने देखते है। सीगमंड फ्रायड को मानने वालों के अनुसार स्वप्न हमारी दमित इच्छाओं के कारण आते है और अधिकतर यौन आकांक्षाओं से जुड़े होते है। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि स्वप्न कुछ और नही हमारे मस्तिष्क द्वारा सोते समय बेतरतीब रूप से संकेतो का भेजा जाना है जो एक मायाजाल जैसा उत्पन्न करता है। प्राणियों पर किये अध्ययन और मस्तिष्क के आधुनिक चित्रण से यह ज्ञात हुआ है कि स्वप्न की हमारी भावना, याददाश्त और सीखने की प्रक्रिया मे महत्वपूर्ण भूमिका है। उदाहरण के लिये चूहों पर किये गये प्रयोगो मे उन्हे वास्तविक समस्याओं और उनके हल को स्वप्न मे दोहराते देखा गया है जो उन्हे वास्तविकता मे कठिन समस्याओं को हम करने मे मददगार होता है।

    7 पदार्थ का अस्तित्व क्यों है?

    antimatterहम और आप का अस्तित्व नही होना चाहिये था!
    हम और आप पदार्थ से बने है जिसका विलोम प्रति-पदार्थ है जो केवल विद्युत आवेश मे भिन्न होता है। जब पदार्थ और प्रतिपदार्थ मिलते है वे दोनो ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। हमारे सिद्धांतो के अनुसार बिग बैंग(महविस्फोट) के समय समान मात्रा मे पदार्थ और प्रति-पदार्थ बने होंगे, दोनो मिलकर ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाना चाहिये और ब्रह्मांड मे ऊर्जा के अतिरिक्त कुछ भी नही होना चाहिये। लेकिन प्रकृति मे ऐसा कुछ भेदभाव है कि प्रति-पदार्थ नही है और केवल पदार्थ ही है क्योंकि यदि ऐसा नही होता तो मै और आप दोनो नही होते। वैज्ञानिक सर्न(CERN) के लार्ज हेड्रान कोलाईडर(Large Hadron Collider) के प्रयोगों के आंकड़ों से यह जानने की कोशिश कर रहे है कि क्यों प्रकृति पदार्थ को प्रति-पदार्थ पर प्राथमिकता देती है। इस गुत्थी के हल के लियेमहासममीती(supersymmetry) और न्युट्रीनो(neutrinos) दो प्रमुख उम्मीदवार है।

    8 क्या और भी ब्रह्माण्ड है?

    multipleuniverseहमारा ब्रह्माण्ड एक असम्भाव्य , अविश्वसनीय जगह है। इसके मूलभूत गुणों मे किंचीत मात्र परिवर्तन करने पर जीवन संभव नही है। इस ब्रह्मांड के सभी कारक इस तरह निर्धारित हैं कि वैज्ञानिक मानने लगे है कि समांतर ब्रह्माण्ड भी होना चाहिये ;जिनमे इन कारको का मान हमारे ब्रह्माण्ड से भिन्न होगा। इन असंख्य ब्रह्मांडो मे से एक हमारा ब्रह्माण्ड है जिसमे इन कारको का मान इस तरह से है कि जीवन का प्रादुर्भाव संभव हो सका है। शायद प्रकृति के प्रयोगो मे से सबसे बेहतर प्रयोग हमारा ब्रह्माण्ड रहा है जिसमे हर मान इस तरह से जम गया कि जीवन उत्पन्न हो गया। यह विचित्र लगता है लेकिन क्वांटम भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान का ज्ञान इसी दिशा की ओर संकेत कर रहा है।

    9 सारे कार्बन को कहां ठिकाने लगाया जाये?

    पिछली दो शताब्दियों से हम जैव ईंधन को जला कर अपने वातावरण मे कार्बन डाय आक्साईड भर रहे है, यह कार्बन पृथ्वी की सतह के नीचे तेल और कोयले के रूप मे दबा था। अब हमने इस सारे कार्बन को पृथ्वी के वातावरण से हटाना होगा अन्यथा हमे बदलते वातावरण के खतरों को झेलने तैयार रहना होगा और यह खतरा इतना बडा है कि वह पृथ्वी से जीवन भी नष्ट कर सकता है। एक उपाय उसे वापिस खाली कोयला और तेल खदानो मे डालने का है, दूसरा उपाय उसे समुद्र की गहराई मे दफन करने का है। लेकिन हम नही जानते कि वह वहाँ पर कितने समय रहेगा और उसके क्या दूष्परिणाम होंगे। तब तक हमे प्राकृतिक और टीकाउ कार्बन के भंडार जैसे जंगल और कोयले को संरक्षित करना होगा और ऊर्जा निर्माण के वैकल्पिक मार्ग ढूंढने होंगे जो हमारे पर्यावरण को नुकसान ना पहुँचायें।

    10 सूर्य से अधिक ऊर्जा प्राप्ति के उपाय क्या है?

    solarजीवाश्म ईंधन की आपूर्ति हमेशा के लिये नही है, हमे अपनी ज़रूरतों के लिये ऊर्जा के नये मार्गो की खोज करनी होगी। हमारा नज़दीकी सितारा सूर्य एक वैकल्पिक उपाय है। हम वर्तमान मे भी सौर ऊर्जा का प्रयोग कर रहे है लेकिन वह पर्याप्त नही है। एक दूसरा उपाय सूर्य प्रकाश की ऊर्जा से जल को आक्सीजन और हायड्रोजन मे भंजित कर स्वच्छ ईंधन की प्राप्ति है जो हमारी कारों के इंजन मे प्रयोग मे लायी जा सकती है। वैज्ञानिक पृथ्वी पर सूर्य के निर्माण का प्रयास भी कर रहे है, जोकि सूर्य पर ऊर्जा के उत्पादन की प्रक्रिया अर्थात नाभिकिय संलयन पर आधारित ऊर्जा उत्पादन केंद्र होंगे। आशा है कि यह हमारी ऊर्जा का भविष्य होगा।

    11 अभाज्य संख्याये विचित्र क्यों है ?

    primeयह एक तथ्य है कि आप इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से ख़रीददारी अभाज्य संख्याओं के विचित्र गुणधर्मो के कारण ही कर सकते है। अभाज्य संख्याये एक और स्व्यं से ही भाज्य होती है। इंटरनेट की सुरक्षा पब्लिक-की-एन्क्रिप्शन(Public key encryption) से होती है, जो आपकी सूचनाओं को इस तरह से कुटलेखित(encrypted) कर देती है कि उसे कोई और समझ नही सकता है। यह पब्लिक-की-एन्क्रिप्शन(Public key encryption) प्रक्रिया अभाज्य संख्या पर आधारित होती है। हमारे दैनिक व्यवहार मे प्रयुक्त होने वाली यह अभाज्य संख्या एक पहेली सी बनी हुयी है। इन अभाज्य संख्यायों मे एक विचित्र पैटर्न होता है जिसे रेमन हाइपाथिसिस कहते है, यह कई शताब्दियों से महान गणितज्ञो को चुनौती देते आयी है। अभी तक एक अनसुलझी पहेली बनी अभाज्य संख्याये इंटरनेट पर राज्य कर रही है। इस पहेली का सुलझना इंटरनेट सुरक्षा का अंत होगा!

    12 जीवाणुओं को कैसे मात दी जाये?

    bactएंटी-बायोटीक आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का एक चमत्कार है। सर अलेक्झेंडर फ्लेमिंग की नोबेल पुरस्कार विजेता खोज ने एक ऐसी क्रांती उत्पन्न की जिससे मानव जाती ने अनेक खतरनाक बीमारीयों से निजात पायी, इसी से शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण और कीमोथेरेपी संभव हो पायी। लेकिन अब यह वरदान खतरे मे है, यूरोप मे हर वर्ष 25,000 से ज्यादा मौते ऐसे जीवाणु से हो रही है जिसने एकाधिक एंटी बायोटिक दवाईयों से प्रतिरोध क्षमता विकसीत कर ली है। नये एंटीबायोटिक दवाइयों की खोज रुकी हुयी है और हम एंटी-बायोटिक दवाईयो के दुरुपयोग से हालात को और कठिन बनाते जा रहे है। अमरीका मे 80% एंटीबायोटिक दवाये मांस-उत्पादन के लिये जानवरो को दी जा रही हैं। डी एन ए अभियांत्रिकी मे नयी खोजो से हम कुछ ऐसी दवायें बना पा रहे है जिनका प्रतिरोध उत्पन्न करना जीवाणुओं के लिये कठिन है। अच्छे जीवाणुओं के प्रयोग से भी हम इस युद्ध मे जीत हासिल कर सकते है। हम से 3 अरब से भी ज्यादा आयु के इस दुश्मन से हमारी लड़ाई जारी है।

    13 क्या कंप्यूटर की गति बढ़ते जायेगी?

    compspeedहमारे टैबलेट और मोबाईल फोन ऐसे नन्हे कंप्यूटर है जो 1969 के चंद्रयान अपोलो 11 के कंप्यूटर से भी कई गुना शक्तिशाली है। हम अपनी जेबो मे रखे जा सकने वाले इन कंप्यूटरो की क्षमता को किस तरह से बढाते रह सकते है? एक कंप्यूटर चीप मे ट्रांजीस्टरो की संख्या की बढ़ोत्तरी की भी एक सीमा है। यह सीमा अभी तक नही पार हुयी है लेकिन वह समय ज्यादा दूर नही है, उसके पश्चात ? वैज्ञानिक नये पदार्थो मे संभावना ढूंढ रहे है जैसे ग्रेफाईट जैसा पतला कार्बन या नये तरह के कंप्यूटर जो क्वांटम कम्प्यूटींग आधारित हों।

    14 क्या हम कभी कैंसर को हरा पायेंगे?

    cancerसंक्षिप्त उत्तर है, नही!
    कैंसर एक अकेली बीमारी नही है, यह सैंकड़ो बीमारीयों का एक समूह है और यह डायनोसोर के जमाने से है। इसके पीछे कारण हमारी जीन मे छुपा हुआ है, ये जीन हमारे शरीर का मानचित्र होते है और इस मानचित्र मे किसी गलती से कैंसर होता है। यह खतरा हमारे अंदर ही होता है और इससे बचा नही जा सकता है। जितना ज्यादा हम जीवित रहेंगे, कैंसर होने की उतनी ज्यादा संभावना रहेगी। कैंसर एक जीवित समस्या है और विकसित होते रहेगी। जीनेटीक्स के जटिल अध्ययन से हम इस बीमारी के बारे मे ज्यादा जान रहे है , इसके होने के कारण पता चल रहे है साथ ही हम इससे बचने और चिकित्सा के बेहतर तरीके ज्ञात हो रहे है। वर्तमान मे आधे से ज्यादा कैंसर (लगभग 37 लाख पीड़ित) की रोकथाम संभव है, धुम्रपान छोड़ दीजिए, खानपान पर ध्यान दे, सक्रिय रहे और दोपहर की धूप मे ज्यादा सूर्य किरणो से बंचे।

    15 कब मै रोबोट रसोईया रख पाउंगा?

    brवर्तमान मे रोबोट आपको खाना परोस सकते है और आपके सूटकेस उठाकर चल सकते है। आधुनिक रोबोट किसी विशिष्ट कार्य के लिये बने है जैसे वह गायों को दुह सकते है, आपकी इमेल पढकर उत्तर दे सकते है, आपकी कार पार्क कर सकते है। लेकिन एक पूर्ण रूप से बुद्धिमान रोबोट के लिये कृत्रिम बुद्धी चाहीये। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आप अपनी बुढी दादी को अपने रोबोट रसोईये के भरोसे छोडकर जा सकते है?
    जापान 2025 तक वृद्ध नागरिको की देखभाल के लिये रोबोट विकसीत करने का लक्ष्य पाले हुये है।

    16 सागर के तल मे क्या है?

    oceanbedसागरो का 95% भाग अभी तक अज्ञात या अनन्वेषित है। वहाँ पर क्या है? 1960 मे इस प्रश्न का उत्तर पाने डान वाल्श और जैक्स पीकार्ड समुद्र की सतह से सात मील नीचे तक गये थे। यह प्रयास मानव प्रयत्नो की पराकाष्ठा थी, लेकिन वे सागर की तलहटी पर जीवन की एक झलक ही देख सके थे। सागर की तलहटी पर पहुंचना इतना कठिन है कि हम वहां पर मानव रहित वाहन ही भेजते है। सागर तलहटी पर अभी तक की गयी आश्चर्य जनक खोज जैसे बेरेलेयी मछली जिसका सर पारदर्शी होता है और वह अल्जीमर बीमारी की चिकित्सा मे प्रयुक्त हो सकती है। इस तरह की नयी खोजें इस मायावी दूनिया का अल्पांश मात्र है।

    17 श्याम विवर के तल मे क्या होता है?

    यह एक ऐसा प्रश्न है जो अपने आप मे भानुमति का पिटारा है। आइस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार एक महाकाय तारे की मृत्यु के समय उसके केंद्र के एक बिंदु तक सिकुड़ जाने से श्याम विवर बनता है, इसका घनत्व अत्यधिक होता है और गुरुत्वाकर्षण इतना बलशाली की प्रकाश भी नही बच सकता है। इस स्तर पर सापेक्षतावाद के साथ क्वांटम भौतिकी भी कार्य करती है। लेकिन क्वांटम भौतिकी और सापेक्षतावाद के सिद्धांत एक साथ लागू नही किये जा सकते है, दोनो विरोधाभाषी है। दोनो के एकीकरण के प्रयास चल रहे है लेकिन अभी तक कोई सफलता नही मिली है। हाल ही मे एम स्ट्रींग सिद्धांत एक उम्मीदवार के रूप मे उभरा है जो शायद ब्रह्माण्ड की इस सबसे विचित्र कृति के रहस्यो को हल कर सके।

    18 क्या हम अमर हो सकते है?

    हम एक ऐसे समय मे जी रहे है जिसमे हम “वृद्धावस्था(aging)” को जीवन की एक सच्चाई के रूप मे नही एक बीमारी के रूप मे मान रहे है जिसका इलाज और रोकथाम संभव है; इलाज और रोकथाम पूरी तरह संभव नहीं हो तो कम से कम एक लंबे समय तक इसका टालना संभव है। हमारा वृद्धावस्था संबधित ज्ञान तीव्र गति से बढरहा है और हम जानने का प्रयास कर रहे है कि कुछ प्राणी अन्य प्राणीयो से ज्यादा क्यों जीते है। अभी हम सब कुछ नही जानते है लेकिन हम डी एन ए क्षति, वृद्धावस्था का असंतुलन, चयापचय प्रक्रिया, प्रजनन क्षमता तथा इन सभी को संचालित करने वाले जीन के बारे मे पहले से बेहतर जानते है और इसे दवाओं के जरीये नियंत्रण मे लाने के करीब हैं। प्रश्न यह नही है कि हम दीर्घ जीवन कैसे प्राप्त करेंगे, प्रश्न यह है कि हम बेहतर स्वस्थ दीर्घ जीवन कैसे प्राप्त करेंगे। अनेक बीमारीयां जैसे मधुमेह और कैंसर, वृद्धावस्था संबंधित है ; इस खोज से दूर हो सकेंगी।

    जनसंख्या विस्फोट19 जनसंख्या विस्फोट का हल क्या है?

    वर्तमान की सात अरब जनसंख्या 1960 की जनसंख्या की दूगनी और अनुमान के अनुसार मे 2050 मे यह नौ अरब को पार कर जायेगी। इतनी बड़ी जनसंख्या कहाँ रहेगी और निरंतर बढती जसंख्या के लिये भोजन और इंधन कहाँ से आएगा ? शायद हम कुछ भाग को मंगल पर भेज दे, कुछ भाग के लिये भूमीगत शहरो का निर्माण कर पायें। भोजन के लिये प्रयोगशालाओं मे मांस का निर्माण हो सकता है। यह विज्ञान फतांशी लगता है लेकिन अब इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

    20 क्या समय यात्रा संभव है?

    समय यात्री हमारे साथ , हमारे बीच है। आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद सिद्धांत के अनुसार अंतराष्ट्रिय अंतरिक्ष केंद्र के यात्री समययात्रा कर चुके है क्योंकि अंतरिक्ष मे समय गति धीमी हो जाती है। वर्तमान मे यह प्रभाव अत्यल्प है लेकिन गति बढा दीजीये और इसी प्रभाव से मानव भविष्य मे एक दिन सहस्त्र वर्ष की यात्रा भी कर पायेगा। प्रकृति शायद भूतकाल मे यात्रा करने की अनुमति नही देती है, लेकिन भौतिक वैज्ञानिक के अनुसार वर्महोल(Wormhole) और अंतरिक्षयानो से यह भी संभव है। सैद्धांतिक रूप से समययात्रा संभव है लेकिन तकनीक के विकास मे समय लगेगा।

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