सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
ऋग्वेद(10:129) से सृष्टि सृजन की यह
श्रुती
लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी यह श्रुति
आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी
इसे रचित करते समय थी। सृष्टि की
उत्पत्ति आज भी एक रहस्य है। सृष्टि के
पहले क्या था ? इसकी रचना किसने, कब
और क्यों की ? ऐसा क्या हुआ जिससे इस
सृष्टि का निर्माण हुआ ?
अनेकों अनसुलझे प्रश्न है जिनका एक
निश्चित उत्तर किसी के पास नहीं है।
कुछ सिद्धांत है जो कुछ प्रश्नों का उत्तर
देते है और कुछ नये प्रश्न खड़े करते है। सभी
प्रश्नों के उत्तर देने वाला सिद्धांत अभी
तक सामने नहीं आया है।
सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त सिद्धांत है
महाविस्फोट सिद्धांत (The Bing Bang
Theory)।
महाविस्फोट सिद्धांत(The Bing Bang
Theory)
1929 में एडवीन हब्बल ने एक आश्चर्य
जनक खोज की, उन्होने पाया की
अंतरिक्ष में आप किसी भी दिशा में देखे
आकाशगंगाये और अन्य आकाशीय पिंड
तेजी से एक दूसरे से दूर हो रहे है। दूसरे शब्दों
मे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।
इसका मतलब यह है कि इतिहास में
ब्रह्मांड के सभी पदार्थ आज की तुलना में
एक दूसरे से और भी पास रहे होंगे। और एक
समय ऐसा रहा होगा जब सभी
आकाशीय पिंड एक ही स्थान पर रहे होंगे,
लेकिन क्या आप इस पर विश्वास करेंगे ?
तब से लेकर अब तक खगोल शास्त्रियों ने
उन परिस्थितियों का विश्लेषण करने का
प्रयास किया है कि कैसे ब्रह्मांडीय
पदार्थ एक दूसरे से एकदम पास होने की
स्थिती से एकदम दूर होते जा रहे है।
इतिहास में किसी समय , शायद 10 से 15
अरब साल पूर्व , ब्रह्मांड के सभी कण एक
दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने पास
पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक
ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की
शक्ल में था। यह बिन्दु अत्यधिक घनत्व
(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु
(infinitesimally small ) था। ब्रह्मांड का
यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के
कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा
होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित
या विज्ञान का कोई भी नियम काम
नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य
किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण
करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस
स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में
काल और समय के कोई मायने नहीं रहते है।
*
इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से
अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू
हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड
का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक
दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
महा विस्फोट के 10 सेकंड के बाद,
अत्यधिक ऊर्जा(फोटान कणों के रूप में)
का ही अस्तित्व था। इसी समय क्वार्क ,
इलेक्ट्रान, एन्टी इलेक्ट्रान जैसे मूलभूत
कणों का निर्माण हुआ। इन कणों के बारे
हम अगले अंको मे जानेंगे।
10 सेकंड के
पश्चात , क्वार्क और एन्टी क्वार्क जैसे
कणो का मूलभूत कणों के अत्याधिक
उर्जा के मध्य टकराव के कारण ज्यादा
मात्रा मे निर्माण हुआ। इस समय कण और
उनके प्रति-कण दोनों का निर्माण
हो रहा था , इसमें से कुछ एक कण और
उनके प्रति-कण दूसरे से टकरा कर खत्म
भी हो रहे थे। इस समय ब्रम्हांड का
आकार एक संतरे के आकार का था।
10 सेकंड के पश्चात, एन्टी क्वार्क
क्वार्क से टकरा कर पूर्ण रूप से खत्म हो
चुके थे, इस टकराव से फोटान का निर्माण
हो रहा था। साथ में इसी
समय प्रोटान और न्युट्रान का भी
निर्माण हुआ।
1 सेकंड के पश्चात, जब तापमान 10 अरब
डिग्री सेल्सीयस था, ब्रह्मांड ने आकार
लेना शुरू किया। उस समय ब्रह्मांड में
ज्यादातर फोटान, इलेक्ट्रान , न्युट्रीनो
और उनके प्रती कणो के साथ मे कुछ
मात्रा मे प्रोटान तथा न्युट्रान थे।
प्रोटान और न्युट्रान ने एक दूसरे के साथ
मिल कर तत्वों(elements) का केन्द्र
(nuclei) बनाना शुरू किया जिसे आज
हम हाइड्रोजन, हीलीयम, लिथियम और
ड्युटेरीयम के नाम से जानते है।
जब महा विस्फोट के बाद तीन
मिनट बीत चुके थे, तापमान गिरकर 1 अरब
डिग्री सेल्सीयस हो चुका था, तत्व और
ब्रह्मांडीय विकिरण(cosmic
radiation) का निर्माण हो चुका था।
यह विकिरण आज भी मौजूद है और इसे
महसूस किया जा सकता है।
आगे बढ़ने पर 300,000वर्ष के पश्चात,
विस्तार करता हुआ ब्रह्मांड अभी भी
आज के ब्रह्मांड से मेल नहीं खाता था।
तत्व और विकिरण एक दूसरे से अलग होना
शुरू हो चुके थे। इसी समय इलेक्ट्रान ,
केन्द्रक के साथ में मिल कर परमाणु का
निर्माण कर रहे थे। परमाणु मिलकर अणु
बना रहे थे।
इस के 1 अरब वर्ष पश्चात, ब्रह्मांड का
एक निश्चित सा आकार बनना शुरू हुआ
था। इसी समय क्वासर, प्रोटोगैलेक्सी
(आकाशगंगा का प्रारंभिक रूप), तारों
का जन्म होने लगा था। तारे हायड्रोजन
जलाकर भारी तत्वों का निर्माण कर रहे
थे।
आज महा विस्फोट के लगभग 14 अरब
साल पश्चात की स्थिती देखे ! तारों के
साथ उनका सौर मंडल बन चुका है। परमाणु
मिलकर कठिन अणु बना चुके है। जिसमे
कुछ कठिन अणु जीवन( उदा: Amino Acid)
के मूलभूत कण है। यही नहीं काफी सारे
तारे मर कर श्याम विवर(black hole) बन
चुके है।
ब्रह्मांड का अभी भी विस्तार हो रहा
है, और विस्तार की गति बढ़ती जा रही
है। विस्तार होते हुये ब्रह्मांड की तुलना
आप एक गुब्बारे से कर सकते है, जिस तरह
गुब्बारे को फुलाने पर उसकी सतह पर
स्थित बिन्दु एक दूसरे से दूर होते जाते है
उसी तरह आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर जा
रही है। यह विस्तार कुछ इस तरह से हो
रहा है जिसका कोई केन्द्र नहीं है, हर
आकाश गंगा दूसरी आकाशगंगा से दूर जा
रही है।
वैकल्पिक सिद्धांत(The Alternative
Theory)
इस सिद्धांत के अनुसार काल और अंतरिक्ष
एक साथ महा विस्फोट के साथ प्रारंभ
नहीं हुये थे। इसकी मान्यता है कि काल
अनादि है, इसका ना तो आदि है ना अंत।
आये इस सिद्धांत को जाने।
आकाशगंगाओ(Galaxy) और आकाशीय
पिंडों का समुह अंतरिक्ष में एक में एक दूसरे
से दूर जाते रहता है। महा विस्फोट के
सिद्धांत के अनुसार आकाशीय पिण्डो
की एक दूसरे से दूर जाने की गति महा
विस्फोट के बाद के समय और आज के समय
की तुलना में कम है। इसे आगे बढाते हुये यह
सिद्धांत कहता है कि भविष्य मे
आकाशीय पिंडों का गुरुत्वाकर्षण इस
विस्तार की गति पर रोक लगाने मे सक्षम
हो जायेगा। इसी समय विपरीत
प्रक्रिया का प्रारंभ होगा अर्थात
संकुचन का। सभी आकाशीय पिंड एक दूसरे
के नजदीक और नजदीक आते जायेंगे और
अंत में एक बिन्दु के रुप में संकुचित हो
जायेंगे। इसी पल एक और महा विस्फोट
होगा और एक नया ब्रह्मांड बनेगा,
विस्तार की प्रक्रिया एक बार और
प्रारंभ होगी।
यह प्रक्रिया अनादि काल से चल रही है,
हमारा विश्व इस विस्तार और संकुचन की
प्रक्रिया में बने अनेकों विश्व में से एक है।
इसके पहले भी अनेकों विश्व बने है और
भविष्य में भी बनते रहेंगे। ब्रह्मांड के
संकुचित होकर एक बिन्दु में बन जाने की
प्रक्रिया को महा संकुचन(The Big
Crunch) के नाम से जाना जाता है।
हमारा विश्व भी एक ऐसे ही महा संकुचन
में नष्ट हो जायेगा, जो एक महा
विस्फोट के द्वारा नये ब्रह्मांड को जन्म
देगा। यदि यह सिद्धांत सही है तब यह
संकुचन की प्रक्रिया आज से 1 खरब 50
अरब वर्ष पश्चात प्रारंभ होगी।
यथास्थिति सिद्धांत (The Quite
State Theory)
महा विस्फोट का सिद्धांत सबसे ज्यादा
मान्य सिद्धांत है लेकिन सभी
वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं । वे मानते है
कि ब्रह्मांड अनादि है, इसका ना तो
आदि है ना अंत। उनके अनुसार ब्रह्मांड
का महा विस्फोट से प्रारंभ नहीं हुआ था
ना इसका अंत महा संकुचन से होगा।
यह सिद्धांत मानता है कि ब्रह्मांड का
आज जैसा है वैसा ये हमेशा से था और
हमेशा ऐसा ही रहेगा। लेकिन सच्चाई
इसके विपरीत है।
इस अंक में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में
हमने चर्चा की, अगले अंक में हम महा
विस्फोट और भौतिकी में मूलभूत
सिद्धांतो की विस्तार से चर्चा करेंगे।
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(*) इस विषय पर पूरा एक लेख लिखना है।
(१)कण और प्रति-कण: पदार्थ के हर मूलभूत
कण का प्रतिकण भी होता है। जैसे
इलेक्ट्रान के लिये एन्टी इलेक्ट्रान
(पाजीट्रान), प्रोटान-एन्टी प्रोटान ,
न्युट्रान -एन्टीन्युट्रान इत्यादि. जब एक
कण और उसका प्रतिकण टकराते है दोनों
ऊर्जा(फोटान) में बदल जाते है। यदि
आपको कभी आपका एन्टी मनुष्य मिले
तब आप उससे हाथ मिलाने की गलती ना
करें। आप दोनों एक धमाके के रूप में ऊर्जा
में बदल जायेंगे।
(२)ये भी एक रहस्य है कि ब्रह्मांड के
निर्माण के समय कण और प्रतिकण दोनों
बने, लेकिन कणों की मात्रा इतनी
ज्यादा क्यों है ? क्या प्रति
ब्रह्मांड (Anti Universe) का भी
अस्तित्व है ?
(३) न्युट्रीनो का मतलब न्युट्रान नहीं है,
ये इलेक्ट्रान के समान द्रव्यमान रखते है
लेकिन इन पर आवेश(+/-) नहीं होता है।
Saturday, 31 October 2015
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ब्रह्मांड की उत्पत्ति का रहस्य
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On: 07:16
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