Tuesday 13 September 2016

Tagged Under:

एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा

By: Secret On: 14:19
  • Share The Gag
  •  एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा:

    1. अजीबोगरीब कहानियां

    अजीबोगरीब कहानियां
    भारत का पौराणिक इतिहास अजीबोगरीब कहानियों और घटनाओं का साक्षी रहा है। इसमें बहुत कुछ ऐसा शामिल है, जिसे सुनकर लगता है कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है? जिन चमत्कारों और वरदानों की बात पुराणों में की गई है, क्या वाकई ऐसा संभव है?
    यह भी पढ़े>>  ये है विदेशों में स्तिथ 10 प्रसिद्ध और भव्य शिव मंदिर

    2. घटना

    घटना
    आज भी हम आपको एक ऐसी ही घटना से परिचित करवाने जा रहे हैं जो फिर एक बार आपको अचंभित कर देगी और सोचने को विवश कर देगी कि क्या वाकई ऐसा संभव था?

    3. ऋष्यश्रृंग

    ऋष्यश्रृंग
    यह घटना है एक ऐसे ऋषि की जिसने अपने जीवन में कभी भी किसी स्त्री को नहीं देखा था और जब देखा तो उनका वो अनुभव बेहद अजीब था। यह कहानी है ऋष्यश्रृंग की जिन्होंने अपने जीवनकाल में लिंगभेद जैसी कोई भी चीज महसूस नहीं की।

    4. गुरु भाई

    गुरु भाई
    वह कभी स्त्री और पुरुष में अंतर नहीं कर पाए, उनके लिए जिस तरह पुरुष उनके गुरु भाई थे उसी प्रकार स्त्रियां भी उनके लिए गुरु भाई थीं।
    यह भी पढ़े>> क्या है चार पैरों वाले सांपों का रहस्य? (Four legged snake mystery in Hindi) 

    5. विभांडक ऋषि

    विभांडक ऋषि
    ऋष्यश्रृंग विभांडक ऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र थे। पुराणों के अनुसार विभांडक ऋषि के कठोर तप से देवता कांप उठे थे और उनकी समाधि तोड़ने और ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने स्वर्ग से उर्वशी को उन्हें मोहित करने के लिए भेजा।
    यह भी पढ़े>>  कुछ पुरातात्विक खोजे जिन्होंने वैज्ञानिकों को कर रखा है हैरान और परेशान

    6. आकर्षक स्वरूप

    आकर्षक स्वरूप
    उर्वशी के आकर्षक स्वरूप की वजह से विभांडक ऋषि की तपस्या टूट गई। दोनों के संसर्ग से ऋष्यश्रृंग का जन्म हुआ।

    7. स्वर्ग की ओर प्रस्थान

    स्वर्ग की ओर प्रस्थान
    पुत्र को जन्म देते ही उर्वशी का काम धरती पर समाप्त हो गया और वे अपने पुत्र को विभांडक ऋषि के पास छोड़कर वापस स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गई।

    8. नारी जाति

    नारी जाति
    उर्वशी के छल से विभांडक ऋषि बहुत आहत हुए और उन्होंने समस्त नारी जाति को ही इसके लिए दोषी ठहराना शुरू कर दिया।

    9. स्त्री की छाया

    स्त्री की छाया
    अपने पुत्र को लेकर विभांडक ऋषि एक जंगल में चले गए और उन्होंने प्रण किया कि वे अपने पुत्र पर किसी भी स्त्री की छाया तक नहीं पड़ने देंगे।

    10. अंगदेश में अकाल

    अंगदेश में अकाल
    जिस जंगल में वो तप करने गए थे वह जंगल अंगदेश की सीमा से लगकर था। विभांडक ऋषि के घोर तप और क्रोध का नतीजा था कि अंगदेश में अकाल के बादल छा गए, लोग भूख से बिलखने लगे।
    यह भी पढ़े>>  दैवीय चमत्कार- 50 लाख लीटर पानी से भी नहीं भरा शीतला माता के मंदिर में स्तिथ ये छोटा सा घडा़, वैज्ञानिक भी हैरान

    11. विभांडक ऋषि का कोप

    विभांडक ऋषि का कोप
    इस समस्या के समाधान के लिए राजा रोमपाद ने अपने मंत्रियों, ऋषि-मुनियों को बुलाया। ऋषियों ने राजा से कहा कि यह सब विभांडक ऋषि के कोप का परिणाम है।

    12. अकाल से छुटकारा

     अकाल से छुटकारा
    अगर वह किसी भी तरह उनके पुत्र ऋष्यश्रृंग को जंगल से बाहर निकालकर अपने नगर में लाने में सक्षम हो जाते हैं तो अकाल से छुटकारा पाया जा सकता है।

    13. स्त्री को नहीं देखा

    स्त्री को नहीं देखा
    दरअसल अपने जीवनकाल में ऋष्यश्रृंग ने कभी किसी स्त्री को नहीं देखा था इसलिए उन्हें आकर्षित कर पाना आसान नहीं है।

    14. जंगल से बाहर

    जंगल से बाहर
    राजा ने इसके लिए भी युक्ति निकाली। उन्होंने अपने नगर की सभी देवदासियों को ऋष्यश्रृंग को आकर्षित कर उन्हें जंगल से बाहर निकालकर नगर लाने का काम सौंपा।

    15. गुरुभाई

    गुरुभाई
    एक दिन जब ऋष्यश्रृंग जंगल में विचरण के लिए निकले तब उन्होंने एक आश्रम में खूबसूरत देवदासियों को देखा। वे बेहद आकर्षक थीं, उन्हें अपना ‘गुरुभाई’ मानकर ऋष्यश्रृंग उनके पास गए।
    यह भी पढ़े>>  कमरुनाग झील – हिमाचल प्रदेश – इसमें दबा है अरबो का खजाना

    16. यौन आनंद

    यौन आनंद
    देवदासियों ने उन्हें आकर्षित कर यौन आनंद के लिए प्रेरित करने का सिलसिला शुरू किया। अगले दिन ऋष्यश्रृंग उन देवदासियों को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते उनके आश्रम में जा पहुंचे।

    17. नगर की ओर प्रस्थान

    नगर की ओर प्रस्थान
    देवदासियों को उनका कार्य लगभग पूरा होते दिखा। उन्होंने ऋषि से कहा कि वह उनके साथ नगर की ओर चलें। ऋष्यश्रृंग ने उनकी बात मान ली और उनके साथ नगर की ओर प्रस्थान कर गए।
    यह भी पढ़े>>  रहस्यमयी ‘चोरों की बावड़ी’- क्या इसमें दफन है बेशकीमती खजाना

    18. घटना

    घटना
    ऋष्यश्रृंग जब राजा रोमपाद के दरबार पहुंचे तो राजा ने उन्हें सारी घटना बताई कि उनके पिता ऋषि विभांडक के तप को तोड़ने के लिए यह सब किया गया था।

    19. दत्तक पुत्री

    दत्तक पुत्री
    अपने पुत्र के साथ हुए इस छल से विभांडक ऋषि क्रोध के आवेश में आकर रोमपाद के महल पहुंचे। जहां विभांडक ऋषि का क्रोध शांत करने के लिए रोमपाद ने अपनी दत्तक पुत्री शांता का विवाह ऋष्यश्रृंग से कर दिया।

    20. अश्वमेध यज्ञ

    अश्वमेध यज्ञ
    अयोध्या के राजा दशरथ ने जब पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ करवाने का निश्चय किया तब सुमंत ने उन्हें विष्णु के अवतार संत कुमार द्वारा राजा पूर्वाकल को ऋषियों की कही एक कहानी सुनाई जो ऋष्यश्रृंग से ही जुड़ी थी।

    21. राम का जन्म

    राम का जन्म
    इस घटना के होने से कई वर्ष पहले ही संतकुमार ने राजा पूर्वाकल से कहा था कि महर्षि विभांडक को एक महान पुत्र की प्राप्ति होगी जिनके द्वारा किए गए पुत्रप्राप्ति के यज्ञ से ही दशरथ के घर भगवान राम का जन्म होगा।
    यह भी पढ़े>>  हस्त रेखा ज्योतिष 15 बातें जो जीवन रेखा देखकर मालूम हो सकती हैं

    22. दशरथ की पुत्री

    दशरथ की पुत्री
    हैरानी वाली बात ये है कि राजा रोमपाद ने ऋष्यश्रृंग से अपनी जिस दत्तक पुत्री का विवाह किया था वह राजा दशरथ की पुत्री तथा श्रीराम की बहन थी।
    यह भी पढ़े>> 

    0 comments:

    Post a Comment