Wednesday 30 November 2016

दुनिया के 10 अजीबो गरीब रस्मोरिवाज : 10 Bizarre Rituals Around The World

By: Secret On: 17:15
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  • दुनिया के 10 अजीबो गरीब रस्मोरिवाज : 10 Bizarre Rituals Around The World


    10 Bizarre Rituals Around The World In Hindi : दुनिया के हरेक हिस्से से कोई न कोई प्राचीन सभ्यता जुडी हुई है जो कि आज भी जिन्दा है।  इन सभ्यताओं के अपने रीती रिवाज़ है जिनमे से कुछ तो बहुत ही विचित्र, अजीबो गरीब और दिल दहलाने वाले  है।  हमने आपके लिए 10 ऐसे ही अजीबो गरीब रस्मोरिवाज (Bizarre Rituals ) का एक जगह संकलन किया है।

    मृत व्यक्ति की अस्थियां को खाने की परंपरा (Endocannibalism) :-
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    यह जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ आदिवासी समुदाय अपने ही मृत रिश्तेदारों की अस्थियां खाते हैं। शव को जलाने के बाद बची हड्डियां और राख का सेवन किया जाता है। इसके लिए वह केले के सूप का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से यह लोग अपनों के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं
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    नरभक्षण और शवभक्षण ( Eating Human Body ) :-
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    भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहां से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं

    बॉडी मॉडिफिकेशन (Body Modification) :-
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    पपुआ न्यूगिनी कनिंनगारा जैसी डरावनी रस्म निभाते हैं। इसमें वह शरीर को खुरचकर डिजाइन बनाते हैं, जिससे यह निशान जीवन भर रह जाते हैं। वहीं, हॉज टम्बरान (आत्माओं का घर) नामक रस्म में किशारों को आत्माओं के घर अकेले दो महीने तक छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उन्हें मर्द बनाने की परंपरा निभाई जाती है। उनके शरीर पर बांस के लकड़ी से छोटे खूनी निशान बनाए जाते हैं। यह निशान इस समुदाय में मर्दानगी की निशानी है।

    शिया मुस्लिम को शोक (Ashura) :-
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    इतिहास में कई सभ्यताओं में रक्तपात के उदाहरण मिलते हैं। दुनियाभर में शिया मुस्लिम पैगंबर साहब के पोते इमाम हुसैन की मौत में शोक व्यक्त करते हैं। हुसैन की मौत शिया मुस्लिम द्वारा 7वीं सदी में करबला के युद्ध में हुई थी। सभी शिया हुसैन की याद में शोक करते हुए कहते हैं, हम उस युद्ध में क्यों नहीं थे, अगर होते तो हुसैन को बचा लेते। सभी शिया खुद को पाप का भागीदार मानते हैं। वह अपने ऊपर अत्याचार करते हैं और खुद को लहूलुहान करते हैं।

    बंजी जंपिंग (Bungee Jumping) :-
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    पेसिफिक द्वीपसमूह पर स्थित बनलेप गांव में बड़ी अजीब रस्म निभाने की परंपरा है। कोल नामक सह परंपरा लैंड डायविंग या बंजी जंपिंग कहलाती है। ग्रामीण लोग ड्रम बजाते हैं, नाचते हैं और गाते हैं। वह लकड़ी के ऊंचे टॉवर से पैरों में रस्सी में बांधकर छलांग लगाते हैं। कई बार इसमें हड्डी टूटने का खतरा रहता है। इनकी मान्यता है कि जितनी ऊंचाई से यह कूदेंगे, भगवान उतना ही आशीर्वाद देंगे।
    जादू और वशीकरण (Magic and Hypnotism) :-
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    वोडून पश्चिमी अफ्रीका के हिस्से का एक धर्म है। इनकी एक रस्म के अनुसार, इस समुदाय के लोग जंगलों में तीन दिन तक बिना खाने और पानी के रहते हैं। यहाँ यह आत्माओं से खुद को जोड़ते हैं। लोगों का मानना है कि उनका शरीर बेहोश हो जाता है।
    आकाश में दफन (Sky Burial) :-
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    तिब्बत के बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र रस्म झाटोर हजारों सालों से निभाते आ रहे हैं। इसके स्काय बरिल भी कहते हैं। यह मृत शरीर को खुले आसमान में गिद्धों को दूसरे पक्षियों के लिए रख देते हैं। तिब्बत में मान्यता है कि इससे इंसान का पुर्नजन्म होगा। यहां मृत व्यक्ति के लाशा को टुकड़ों में काट कर सबसे ऊंची जगह फैला दिया जाता है।
    आग पर से चलना (Walking on Fire) :-
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    मलेशिया के पेनांग में 9 देवताओं का त्यौहार मनाने की परंपरा है। यहां की धार्मिक मान्यता के मुताबिक, आग के अंगारों पर चलने का चलन है। विश्वास है कि इससे यह आग से निकल कर पवित्र हो जाएंगे और बुरी शक्तिओं के बंधन से मुक्त हो जाएंगे। यह परम्परा भारत के भी कई हिस्सों में पायी जाती है।
    मृत शरीर के साथ नाचना (Famadihana) :-
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    भले ही आप सोच कर थोड़ा हंसे, लेकिन यह सच है कि मेडागास्कर में आदमी के मरने के बाद त्यौहार जैसा माहौल होता है। फामाडिहाना यानी टर्निग ऑफ द बोन्स रस्म में लोग दफन शवों को फिर से निकाल उनकी यात्रा निकालते हैं। इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं। मस्जिद में कब्रों के नजदीक जोर से म्यूजिक बजाते हैं। इसी अजीबोगरीब परंपरा को दो साल से सात साल के बीच में किया जाता है।
    शरीर को भेदना (Face Piercing) :-
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    थाईलैंड के फुकेट में हर साल वेजेटैरियन फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में एक रस्म निभाई जाती है जो कि  सबसे ज्यादा हिंसात्मक और दर्दनाक रस्म है। इसमें भक्त लोग चाकू, भाला, बंदूक, सुई, तलवारें और हुक जैसी चीजों से अपने शरीर को भेदते हैं। इनका विश्वास है कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं।

    स्नेक आइलैंड – ब्राज़ील – यहाँ चलती है जहरीलें गोल्डन पिट वाइपर सांपो कि हुकूमत

    By: Secret On: 16:58
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    Snake Island, Brazil History & Story in Hindi : आज हम आपको ब्राजील(Brazil) के एक ऐसे आइलैंड के बारे में बता रहे है जहा केवल जहरीलें गोल्डन पिट वाइपर (Golden Pit Viper) सांपो कि हुकूमत चलती है। यह है ब्राज़ील के  Sao Paulo से 93 मिल दूर समुद्र मे स्तिथ एक आइलैंड जिसका नाम Ilha de Queimada Grande है पर जिसे सब स्नेक आइलैंड(Snake Island) कहते है।
    यहाँ पर इन सांपो कि संख्या इतनी अधिक है कि हर एक वर्ग मीटर में पांच सांप रहते है यानि कि आपके सिंगल बेड जितनी जगह में दस साँप और डबल बेड जितनी जगह में बीस सांप। इस सांप कि गिनती विशव के सबसे जहरीले सांपो में होती है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है इस सांप के काटने से आदमी 10  से 15 मिनट के अंदर मर जाता है। पुरे ब्राज़िल मे साँपो के काटने से होने वाली मौतों में से 90 प्रतिशत मौतों के लिए यही सांप जिम्मेदार है।Snake Island, Brazil , Hindi, History, Story, Kahani, Itihas, Information, Janakari, Dangerous,
    इस आइलैंड का एरिया 4,30,000 वर्ग मीटर हैं। यानि कि इस आइलैंड पर करीब 20,00,000 (बीस लाख) जहरीलें गोल्डन पिटवाइपर सांप रहते है। यहाँ पर सांप हर जगह दिखाई देते है जमीं पर चलते हुए, पेड़ो से लटकते हुए, चट्टानों में छिपे हुए। जहरीले सांपो कि इतनी अधिक संख्या के कारण, ब्राजीलियन नेवी ने आम इंसानो का इस पर जाना प्रतिबंधित कर रखा है केवल सर्प विशेषज्ञों को शोध के लिए जाने कि आज्ञा है पर वो भी केवल तटीय इलाके में शोध करके लौट आते है आइलैंड के ज्यादा अंदर जाने कि किसी कि भी हिम्मत  नहीं पड़ती है।
    स्नेक आइलैंड कि एक खौफनाक कहानी (Horrible Story Of Snake Island) :-
    अब हम आपको एक ऐसे परिवार कि  कहानी सुनाते है जो कि इनका शिकार हुआ था। यह आइलैंड शुरू से ऐसा नहीं था। यहाँ पर पहले साँपों कि इतनी आबादी नहीं थी और जो थे वो आइलैंड के मध्य वाले भाग में थे जो कि ज्यादा घना था । यहाँ पर तट के पास एक लाइट हाउस बना हुआ है जिसमे कि ब्राजीलियन नेवी का एक कर्मचारी ड्यूटी दिया करता था। यह कहानी है इस लाइट हाउस के आखरी केयर टेकर और उसके परिवार कि।  वो केअर टेकर अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ लाइट हाउस में बने एक कॉटेज में रहता था। ब्राज़ीलियन नेवी का एक जहाज उनके पास उनकी जरूरत का सामान पहुचाया करता था।
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    लेकिन धीरे धीरे यहाँ साँपों कि संख्या बढ़ने लगी और तट के पास वाले इलाके में भी सांप नज़र आने लगे। एक दिन कुछ  जहरीलें गोल्डन पिटवाइपर सांप उनके कॉटेज में खिड़की से घुस गए। असल में खिड़की का कांच टूट गया था और उनका ध्यान उस और गया नहीं था। जहरीलें गोल्डन पिटवाइपर सांपो को कॉटेज में  देखकर सारा परिवार डर गया और जान बचाने के लिए सारे तट कि और भागे जहा कि उनकी  नाव बंधी थी पर अफ़सोस उनमे से कोई भी वहा तक नहीं पहुँच पाया वे सब रास्ते में ही सांपो का शिकार बन गए। अगले दिन जब नेवी का जहाज वहा सामान उतारने पंहुचा तो उन सबकी लाशें लाइट हाउस को जाने वाले रास्ते पर पड़ी मिली जो कि जहर के कारण एकदम काली पड़ चुकी थी। इस घटना के बाद लाइट हाउस को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया और इस आइलैंड पर इंसानों का जाना प्रतिबंधित कर दिया गया।
    इस आइलैंड से जुडी हुई एक और घटना स्थानीय लोग बताते है।  इस आइलैंड पर केले के पेड़ भी बहुतायत से पाये जाते है। एक बार एक नाविक अपने साथियों के मना करने के बावजूद अंदर केले लेने चला गया पर वो वहाँ पर सांप का शिकार हो गया।  वो किसी तरह वापस अपनी नाव तक तो पहुच गया पर ज़िंदा नहीं बचा।
    यह आइलैंड इस रूट से जाने वाले प्रवासी पक्षियों का रेस्टिंग पॉइंट है जो कि इस वीरान टापू पर इन साँपों कि मुख्य आहार श्रंखला है और इन साँपों कि संख्या इस हद तक बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं।

    Tuesday 29 November 2016

    रावण संहिता (Ravan Sanhita) के प्राचीन तांत्रिक उपाय, जो चमका सकते है आपकी किस्मत

    By: Secret On: 16:00
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    Ravan sanhita Jyotish Upay in Hindi : रावण एक असुर था, लेकिन वह सभी शास्त्रों का जानकार और प्रकाण्ड विद्वान भी था। रावण ने ज्योतिष और तंत्र शास्त्र संबंधी ज्ञान के लिए रावण संहिता की रचना की थी। रावण संहिता में ज्योतिष और तंत्र शास्त्र के माध्यम से भविष्य को जानने के कई रहस्य बताए गए हैं। इस संहिता में बुरे समय को अच्छे समय में बदलने के लिए भी चमत्कारी तांत्रिक उपाय बताए हैं। जो भी व्यक्ति इन तांत्रिक उपायों को अपनाता है उसकी किस्मत बदलने में अधिक समय नहीं लगता है।
    Ravan sanhita upay in Hindi
    रावण एक असुर था, लेकिन वह सभी शास्त्रों का जानकार और प्रकाण्ड विद्वान भी था। रावण ने ज्योतिष और तंत्र शास्त्र संबंधी ज्ञान के लिए रावण संहिता की रचना की थी।
    रावण संहिता में ज्योतिष और तंत्र शास्त्र के माध्यम से भविष्य को जानने के कई रहस्य बताए गए हैं। इस संहिता में बुरे समय को अच्छे समय में बदलने के लिए भी चमत्कारी तांत्रिक उपाय बताए हैं। जो भी व्यक्ति इन तांत्रिक उपायों को अपनाता है उसकी किस्मत बदलने में अधिक समय नहीं लगता है।

    1. धन प्राप्ति के लिए उपाय – किसी भी शुभ मुहूर्त में या किसी शुभ दिन सुबह जल्दी उठें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी या जलाशय के किनारे जाएं। किसी शांत एवं एकांत स्थान पर वट वृक्ष के नीचे चमड़े का आसन बिछाएं। आसन पर बैठकर धन प्राप्ति मंत्र का जप करें।
    धन प्राप्ति का मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा।
    इस मंत्र का जप आपको 21 दिनों तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। 21 दिनों में अधिक से अधिक संख्या में मंत्र जप करें।
    जैसे ही यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा आपके लिए धन प्राप्ति के योग बनेंगे।
    2. यदि किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में बार-बार रुकावटें आ रही हों तो उसे यह उपाय करना चाहिए।
    यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
    मंत्र: ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।
    इस मंत्र का जप नियमित रूप से करने पर कुछ ही दिनों महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाएगी और आपके धन में आ रही रुकावटें दूर होने लगेंगी।
    महालक्ष्मी की कृपा तुरंत प्राप्त करने के लिए यह तांत्रिक उपाय करें।
    3. दीपावली के लिए उपाय
    किसी शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, होली आदि की रात यह उपाय किया जाना चाहिए। दीपावली की रात में यह उपाय श्रेष्ठ फल देता है। इस उपाय के अनुसार दीपावली की रात कुमकुम या अष्टगंध से थाली पर यहां दिया गया मंत्र लिखें।
    मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:।
    इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। किसी साफ एवं स्वच्छ आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला या कमल गट्टे की माला के साथ मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। अधिक से अधिक इस मंत्र की आपकी श्रद्धानुसार बढ़ा सकते हैं।
    इस उपाय से आपके घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी।
    4. यदि आप दसों दिशाओं से यानी चारों तरफ से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें। यह उपाय दीपावली के दिन किया जाना चाहिए।
    दीपावली की रात में विधि-विधान से महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के बाद सो जाएं और सुबह जल्दी उठें।
    नींद से जागने के बाद पलंग से उतरे नहीं बल्कि यहां दिए गए मंत्र का जप 108 बार करें।
    मंत्र: ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा।
    शय्या पर मंत्र जप करने के बाद दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारें। इस उपाय से साधक को चारों तरफ से पैसा प्राप्त होता है।
    5. यदि आप देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की कृपा से अकूत धन संपत्ति चाहते हैं तो यह उपाय करें।
    उपाय के अनुसार आपको यहां दिए जा रहे मंत्र का जप तीन माह तक करना है। प्रतिदिन मंत्र का जप केवल 108 बार करें।
    मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
    मंत्र जप करते समय अपने पास धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। जब तीन माह हो जाएं तो यह कौड़ी अपनी तिजोरी में या जहां आप पैसा रखते हैं वहां रखें। इस उपाय से जीवनभर आपको पैसों की कमी नहीं होगी।
    6. यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी स्थान पर धन गढ़ा हुआ है और आप वह धन प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें।
    गड़ा धन प्राप्त करने के लिए यहां दिए गए मंत्र का जप दस हजार बार करना होगा।
    मंत्र: ऊँ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।
    गड़े हुए धन के दर्शन करने के लिए विधि इस प्रकार है। किसी शुभ दिवस में यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या करें। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां धतुरे के बीज, हलाहल, सफेद घुघुंची, गंधक, मैनसिल, उल्लू की विष्ठा, शिरीष वृक्ष का पंचांग बराबर मात्रा में लें और सरसों के तेल में पका लें। इसके बाद इस सामग्री से गड़े धन की शंका वाले स्थान पर धूप-दीप ध्यान करें। यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या में करें।
    ऐसा करने पर उस स्थान से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का साया हट जाएगा। भूत-प्रेत का भय समाप्त हो जाएगा। साधक को भूमि में गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगेगा।
    ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।
    7. यदि आप घर या समाज या ऑफिस में लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं तो बिल्वपत्र तथा बिजौरा नींबू लेकर उसे बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें। इसके बाद इससे तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है।
    8. अपामार्ग के बीज को बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें, लेप बना लें। इस लेप को लगाने से व्यक्ति का समाज में आकर्षण काफी बढ़ जाता है। सभी लोग इनके कहे को मानते हैं।
    9. सफेद आंकड़े के फूल को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।

    10. शास्त्रों के अनुसार दूर्वा घास चमत्कारी होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के उपायों में भी किया जाता है। कोई व्यक्ति सफेद दूर्वा को कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध के साथ पीस लें और इसका तिलक लगाएं तो वह किसी भी काम में असफल नहीं होता है।

    भारत की इन 5 जगहों से जुडी है रावण के जीवन की सबसे प्रमुख घटनाएं, जानिए क्या है वो?

    By: Secret On: 06:00
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  • भारत की इन 5 जगहों से जुडी है रावण के जीवन की सबसे प्रमुख घटनाएं, जानिए क्या है वो?

    Indian Places Stories Related to Ravan: रावण को अपने काल का सबसे श्रेष्ठ विद्वान और तपस्वी माना गया है। ये बात अलग है कि उसके बुरे कर्मों के कारण उसका पांडित्य भी उसकी रक्षा नहीं कर पाया। रावण के बारे में अनेक ग्रंथों में वर्णन मिलते हैं। रामायण में कुछ ऐसी जगहों का वर्णन मिलता है, जहाँ रावण के जीवन की प्रमुख घटनाए घटी है।  आज हम उन्हीं में से 5 प्रमुख जगहों और उनसे जुडी घटनाओं के बारे में आपको बता रहे है।
    1. महिष्मती नगर (वर्तमान- मध्यप्रदेश का महेश्वर) :-
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    वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब राक्षसराज रावण ने सभी राजाओं को जीत लिया, तब वह महिष्मती नगर (वर्तमान में महेश्वर) के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर में गया। उस समय सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में जलक्रीड़ा कर रहा था। रावण को जब पता चला कि सहस्त्रबाहु नहीं है तो वह युद्ध की इच्छा से वहीं रुक गया। नर्मदा की जलधारा देखकर रावण ने वहां भगवान शिव का पूजन करने का विचार किया।जिस स्थान पर रावण भगवान शिव की पूजा कर रहा था, वहां से थोड़ी दूर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। सहस्त्रबाहु अर्जुन की एक हजार भुजाएं थीं। उसने खेल ही खेल में नर्मदा का प्रवाह रोक दिया, जिससे नर्मदा का पानी तटों के ऊपर चढ़ने लगा। जिस स्थान पर रावण पूजा कर रहा था, वह भी नर्मदा के जल में डूब गया। नर्मदा में आई इस अचानक बाढ़ के कारण को जानने रावण ने अपने सैनिकों को भेजा।
    सैनिकों ने रावण को पूरी बात बता दी। रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया। जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास आए और रावण को छोडने के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली।
    2. बैद्यनाथ (वर्तमान- झारखंड) :-
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    शिव पुराण के अनुसार, रावण भगवान शिव का भक्त था। उसने बहुत कठिन तपस्या की और एक-एक करके अपने मस्तक भगवन शिव को अर्पित कर दिए। उसकी इस तपस्या से शंकर भगवान् बहुत प्रसन्न हुए। उसके दस सर भगवान ने फिर जोड़ दिए। रावण ने भगवान से वरदान के रूप में भगवान शिव को अपने साथ लंका चलने की बात कही। भगवान शिव ने रावण की बात मान ली, लेकिन रावण के सामने एक शर्त रखी। शर्त यह थी कि अगर रावण भगवान के शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी जमीन पर रख देगा तो भगवान शिव उसी जगह पर स्थापित हो जाएंगे। रावण ने भगवान शिव की शर्त मान ली और शिवलिंग को लेकर लंका की ओर जाने लगा।
    यह सूचना मिलते ही देवताओं में खलबली मच गई। यदि भगवान शिव लंका में स्थापित हो जाएंगे तो लंका को हरा पाना किसी के लिए भी असंभव हो जाता। ऐसे में रावण को कोई भी नहीं हरा पाता। इस परेशानी का हल निकालने के लिए सब विष्णु भगवान के पास पहुंचे। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से किसी भी तरह रावण को शिवलिंग लंका ले जाने से रोकने की प्रार्थना की।
    देवताओं की प्रार्थना पर विष्णु भगवान् एक ब्राह्मण का वेश धारण करके धरती पर चले आए। साथ ही, वरूण देव ने रावण के पेट में प्रवेश किया। जैसे ही वरुण देव रावण के पेट में घुसे। रावण को बड़ी तीव्र लघुशंका लगी। लघु शंका करने के पहले रावण को शिवलिंग किसी के हाथ में देना था। तभी वहां से ब्राह्मण वेश में विष्णु भगवान गुजरे रावण ने उन्हें थोडी देर शिवलिंग पकड़ने का आग्रह किया। वह ख़ुद लघुशंका करने चला गया, लेकिन उसके पेट में तो वरुण देव घुसे हुए थे। रावण के बहुत देर तक न आने पर ब्राह्मण ने शिवलिंग को नीचे रख दिया। जैसे ही शिवलिंग नीचे स्थापित हुआ वरुण देव रावण के पेट से निकल गए।
    रावण जब ब्राह्मण को देखने आया तो देखा कि शिवलिंग जमीन पर रखा हुआ है और ब्राह्मण जा चुका है। उसने शिवलिंग उठाने की कोशिश की, लेकिन शर्त के अनुसार, भगवान शिव उसी जगह पर स्थापित हो गए थे।। आखिर में क्रोधित होकर रावण ने शिवलिंग पर मुष्टि प्रहार किया जिससे वह जमीन में धंस गया। बाद में रावण ने क्षमा मांगी। कहते हैं वह रोज लंका से शिव पूजा के लिए बैद्यनाथ आता था। जिस जगह ब्राह्मण ने शिवलिंग रखा, वहीं आज शंकर भगवान का मन्दिर है, जिसे बैद्यनाथ धाम कहते हैं।
    3. पंचवटी (वर्तमान- नासिक) :-
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    पंचवटी नासिक जिला, महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के निकट स्थित एक प्रसिद्ध पौराणिक स्थान है। यहां पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता सहित अपने वनवास काल में काफी दिनों तक रहे थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, यहीं से लंका के राजा रावण ने माता सीता का हरण किया था।
    रावण ने मारीच नाम के राक्षस को सीता हरण की योजना में शामिल किया। उसने सोने के हिरण का रूप धारण किया। सीताजी उस पर मोहित हो गईं। सीताजी ने रामजी को उस हिरण को लाने को कहा। बाद में राम के न लौटने पर लक्ष्मण उन्हें खोजने वन में गए। रावण साधु के वेष में आया और सीताजी का हरण करके ले गया। यहां श्रीराम का बनाया हुआ एक मन्दिर खंडहर रूप में विद्यमान है।
    4. किष्किंधापुरी (वर्तमान- कर्नाटक) :-
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    एक बार रावण ने सुना कि किष्किंधापुरी का राजा बालि बड़ा बलवान और पराक्रमी है तो वह उसके पास युद्ध करने के लिए जा पहुंचा। बालि की पत्नी तारा,तारा के पिता सुषेण, युवराज अंगद और उसके भाई सुग्रीव ने रावण समझाया कि इस समय बालि नगर से बाहर सन्ध्योपासना के लिए गए हुए हैं। वे ही आपसे युद्ध कर सकते हैं। अन्य कोई वानर इतना पराक्रमी नहीं है, जो आपके साथ युद्ध कर सके। इसलिए, आप थोड़ी देर उनकी प्रतीक्षा करें। साथ ही सुग्रीव ने रावण को बालि की ताकत और क्षमता के बारे में बताया और दक्षिण के तट पर जाने को कहा, क्योंकि बालि वहीं पर था।
    सुग्रीव के वचन सुनकर रावण विमान पर सवार हो तत्काल दक्षिण सागर में उस स्थान पर जा पहुंचा। जहां बालि संध्या आरती कर रहा था। उसने सोचा कि मैं चुपचाप बालि पर आक्रमण कर दूंगा। बालि ने रावण को आते देख लिया, लेकिन वह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करता रहा। जैसे ही उसे पकडने के लिए रावण ने पीछे से हाथ बढ़ाया, लेकिन बालि ने उसे पकड़कर अपनी कांख (बाजू) में दबा लिया और आकाश में उड़ चला। रावण बार-बार बालि को अपने नखों से कचोटता रहा, लेकिन बालि ने उसकी कोई चिंता नहीं की। तब उसे छुड़ाने के लिए रावण के मंत्री और सिपाही उसके पीछे शोर मचाते हुए दौड़े, लेकिन वे बालि के पास तक न पहुंच सके। इस प्रकार बालि रावण को लेकर पश्चिम सागर के तट पर पहुंचा। वहां उसने संध्योपासना पूरी की।
    फिर वह दशानन को लिए हुए किष्किंधापुरी लौटा। अपने उपवन में एक आसन पर बैठकर उसने रावण को अपनी कांख से निकालकर पूछा कि अब कहिए आप कौन हैं और किसलिये आये हैं? रावण ने उत्तर दिया कि मैं लंका का राजा रावण हूं और आपके साथ युद्ध करने के लिए आया था। मैंने आपका अद्भुत बल देख लिया। अब मैं अग्नि की साक्षी देकर आपसे मित्रता करना चाहता हूं। फिर दोनों ने अग्नि की साक्षी मानकर एक-दूसरे से मित्रता कर ली।
    5. कैलाश मानसरोवर (वर्तमान- चीन) :-
    35

    कहा जाता है कि एक बार रावण ने घोर तपस्या करने के बाद कैलाश पर्वत ही उठा लिया था। वह पूरे पर्वत को ही लंका ले कर जाना चाहता था। उस समय शिवजी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाया तो कैलाश फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया। शिव के अनन्य भक्त रावण का हाथ दब गया, तब वह अपनी भूल के लिए भगवान शिव से मांफी मागने लगा और उनकी स्तुति करने लगा। वही स्तुति आगे चलकर शिव तांडव स्रोत कहलाई। कैलाश मानसरोवर पर रावण के कई वर्षों तक तप करने का वर्णन भी ग्रंथों में मिलता है।

    Monday 28 November 2016

    दिल्ली के लौह स्तम्भ का रहस्य

    By: Secret On: 18:00
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  • दिल्ली के लौह स्तम्भ का रहस्य


    विश्वप्रसिद्ध दिल्ली का ‘लौह स्तम्भ’-
    हमारा भारत कितना अद्भुत है!
    कितना ज्ञान बिखरा हुआ है यहाँ प्राचीन धरोहरों के
    रूप में ,जिसे हमें समय रहते संभालना है.
    दुनिया की प्राचीनतम और
    जीवंत सभ्यताओं में से एक है हमारे देश
    की सभ्यता.
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    हमारी प्राचीन धरोहरें बताती
    हैं कि हमारा देश अर्थव्यवस्था,स्वास्थ्य
    प्रणाली,शिक्षा प्रणाली, कृषि
    तकनीकी,खगोल शास्त्र ,विज्ञान , औषधि
    और शल्य चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में बेहद
    उन्नत था.
    मैगस्थनीज से लेकर फाह्यान, ह्वेनसांग तक
    सभी विदेशियों ने भारत की भौतिक समृध्दि
    का बखान किया है.
    प्राचीन काल में उन्नत तकनीक और विराट
    ज्ञान संपदा का एक उदाहरण है अभी तक
    ‘जंगविहिन’ दिल्ली का लौह स्तंभ’.इसका सालों से
    ‘जंग विहीन होना ‘ दुनिया के अब तक के अनसुलझे
    रहस्यों मे माना जाता है.
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    सन २००२ में कानपुर के वैज्ञानिक बालासुब्रमानियम ने अपने
    अनुसन्धान में कुछ निष्कर्ष निकाले थे.जैसे कि इस पर
    जमी Misawit की परत इसे जंग लगने
    से बचाती है .वे इस पर लगातार शोध कर रहे हैं.
    माना जाता है कि भारतवासी ईसा से ६०० साल पूर्व से
    ही लोहे को गलाने की
    तकनीक जानते थे.पश्चिमी देश इस ज्ञान
    में १००० से भी अधिक वर्ष पीछे रहे.
    इंग्लैण्ड में लोहे की ढलाई का पहला कारखाना सन्
    ११६१ में खुला था.
    बारहवीं शताब्दी के अरबी
    विद्वान इदरिसी ने भी लिखा है कि
    भारतीय सदा ही लोहे के निर्माण में
    सर्वोत्कृष्ट रहे और उनके द्वारा स्थापित मानकों की
    बराबरी कर पाना असंभव सा है.विश्वप्रसिद्ध
    दिल्ली का ‘लौह स्तम्भ’-
    स्थान- दिल्ली के महरोली में
    कुतुबमीनार परिसर में स्थित है.यह ३५
    फीट ऊँचा और ६ हज़ार किलोग्राम है.
    किसने और कब बनवाया-
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    गुप्तकाल (तीसरी शताब्दी से
    छठी शताब्दी के मध्य) को भारत का
    स्वर्णयुग माना जाता है .
    लौह स्तम्भ में लिखे लेख के अनुसार इसे किसी राजा
    चन्द्र ने बनवाया था.बनवाने के समय विक्रम सम्वत् का आरम्भ
    काल था। इस का यह अर्थ निकला कि उस समय समुद्रगुप्त
    की मृत्यु के उपरान्त चन्द्रगुप्त (विक्रम) का
    राज्यकाल था.तो बनवाने वाले चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
    द्वितीय ही थे और इस का निर्माण 325
    ईसा पूर्व का है.