Tuesday 13 September 2016

Tagged Under:

महाभारत युद्ध सम्पात होने के पश्चात आखिर क्या हुआ ? जाने महाभारत से जुड़े इन टॉप 6 रहस्यों को !

By: Secret On: 14:15
  • Share The Gag
  • महाभारत युद्ध सम्पात होने के पश्चात आखिर क्या हुआ ? जाने महाभारत से जुड़े इन टॉप 6 रहस्यों को !

     

    Mahabharata story in hindi :-

    कुरुक्षेत्र में अनेको योद्धाओं के मध्य हुए महाभारत ( mahabharat ) के भीषण युद्ध के बारे में तो हर कोई जानता होगा जिसमे पांडवो ने भगवान श्री कृष्ण की सहायता से कौरवों को पराजित किया था.
    लेकिन क्या आप जानते है जब महाभारत ( mahabharat ) का युद्ध समाप्त हुआ तो क्या हुआ, तथा युधिस्ठर के राजा बनने के बाद उन्होंने कितने वर्षो तक राज्य किया व इसके बाद की क्या कहानी है ?
    आइये आपको महाभारत ( mahabharat ) के उन रोचक रहस्यों से अवगत कराते है जो शायद ही आपने पहले कभी पढ़े या सुने हो.
    यह भी पढ़े>>  जानिए अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया की कुछ अनजानी और रोचक बात
     

    1 . जब महाभारत ( mahabharat ) का युद्ध समाप्त हुआ तो युधिस्ठर को हस्तिनापुर का राजा घोषित किया गया. तथा जब युधिस्ठर का राजतिलक किया जा रहा था उस समय गांधारी अपने पुत्रों के मृत्यु के शोक से व्याकुल होकर श्री कृष्ण के समक्ष आई तथा उन्हें श्राप देते हुए कहा जिस तरह तुमने मेरे कुल का नाश किया उसी दर्द से तुम्हारे कुल को भी गुजरना पड़ेगा.
     
    2 .पांडवो ने हस्तिनापुर में पुरे 36 साल तक राज किया. परन्तु उधर द्वारिका में भगवान श्री कृष्ण को मिले श्राप के कारण वहां की स्थिति बिगड़ने लगी थी.
    श्री कृष्ण इन सब से छुटकारा पाने के लिए पुरे यादव वंश को प्रभास ले आये. परन्तु यहाँ भी भगवान श्री कृष्ण को मिले श्राप के कारण पूरा यादव वंश एक दूसरे के खून का प्यास हो गया और स्थिति इतनी बिगड़ने लगी की कुछ समय बाद पूरा यादव वंश ही समाप्त हो गया.


    mahabharata story in hindi, mahabharata katha in hindi, mahabharat, mahabharata story, mahabharat in hindi, mahabharat katha hindi, read mahabharat katha in hindi, arjuna in mahabharata, full story of mahabharata in hindi, krishna in mahabharata



    3 . इस भयावह संहार को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अनेको प्रयत्तन किये परन्तु सब विफल रहे. एक दिन भगवान श्री कृष्ण एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे तब किसी शिकारी ने उन पर ही निशाना साध दिया.
    क्योकि भगवान श्री कृष्ण ने मृत्युलोक में जन्म लिया था अतः यह तो निश्चित था की उन्हें अपना मनुष्य रूपी शरीर एक न एक दिन त्यागना होगा. अतः भगवान श्री कृष्ण अपना शरीर त्याग वैकुंठ धाम की ओर चल दिए .यह भी पढ़े>> कंकाल झील के रहस्‍य

    इसके बाद व्यास जी ने भी युधिस्ठर को यह बता दिया की अब आपके जीवन का उद्देश्य समाप्त हो चुका है.
    4 . ये वही समय था जब द्वापर युग बस अपने समाप्ति की ओर था तथा कलयुग का आरम्भ होने वाला था. यही देखते हुए युधिस्ठर ने हस्तिनापुर का राज्य अपने पौत्र परीक्षित को सोप दिया तथा स्वयं चल पड़े हिमालय की ओर, अपने अंतिम यात्रा की तरफ.
    युधिस्ठर के इस यात्रा में उनके साथ उनके चारो भाई और द्रोपदी भी उनके साथ चल दी.
    5 . हिमालय के रास्ते बहुत ही कष्टों और बाधाओं से भरे हुए थे जहाँ पर यात्रा करना बहुत ही कठिन था. धीरे-धीरे कर सब युधिस्ठर का साथ छोड़ने लगे. आरम्भ हुआ द्रोपदी से तथा अंत में भीम ने अपना शरीर त्यागा.
    कारण था अपने घमंड से उपजी अलग अलग परेशानियां. केवल धर्मराज युधिस्ठर ही अपने शरीर के साथ स्वर्ग के द्वारा तक पहुंच पाये इस पूरी यात्रा में एक कुत्ता भी उनके साथ था.
    6 . स्वर्ग के दरवाजे पर पहुंचते युधिस्ठर के साथ आया वह कुत्ता यमराज में परिवर्तित हो गया वास्तविकता में वह यमराज ही थे जो सारे रास्ते उस कुत्ते के रूप में युधिष्ठर को स्वर्ग का मार्ग दिखा रहे थे.
    यमराज ने सर्वप्रथम युधिस्ठर को नर्क दिखाया जहाँ द्रोपदी के साथ अन्य चारो पांडव भी मौजूद थे इसे देखकर युधिस्ठर उदास हो गए.
    परन्तु बाद में यमराज ने युधिस्ठर को बताया की वे अपने कुछ पापो के कारण यहाँ आये है परन्तु शीघ्र ही वे स्वर्गलोक में दाखिल होंगे.
    इस तरह समाप्त हुई महाभारत ( mahabharat ) की सम्पूर्ण कथा और श्रीकृष्ण की लीला, तथा साथ ही हुआ द्वापर युग का भी अंत और पृथ्वीलोक में आगमन हुआ कलयुग का जिसे आज हम और आप जी रहे है.
    यह भी पढ़े>>   








    0 comments:

    Post a Comment