8 अजीबोगरीब भारतीय मान्यताएं- आस्था या अन्धविश्वास?
8 Weird Indian Traditions in Hindi
: भारत त्योहारों, उत्सवों और आस्था का देश है। यहां विभिन्न धर्मों,
जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं। सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं और धार्मिक
विश्वास हैं लेकिन कभी-कभी यही आस्था और विश्वास अंधविश्वास में बदल जाता
है। आस्था के नाम पर भारत में कई अजीबोगरीब मान्यताएं हैं, जिन्हें सुनकर
इंसान के रोंगटे खड़े हो जाएं। आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही 8 मान्यताओं
के बारे में बता रहे है।
1. अच्छे भाग्य के लिए छत से फेंकते हैं बच्चों को![8 Weird Indian Traditions in Hindi 8 Weird Indian Traditions in Hindi](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uIeMdkd8znkjK1Q5_m8lLAgbXpPTQj_Gmx3MViQumVDTYFXLZS0yfFLJXfyXaI7xkkTrEz5TC_C_Y4CwIQh-4D3Swo3Ktih1IWqcGU8DwHnlMkpZTz4MHwAyOawdcD=s0-d)
महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर दरगाह और कर्नाटक के इंदी स्थित श्री संतेश्वर मंदिर में तो बच्चों को छत से नीचे फेंका जाता है। यहां ऐसी मान्यता है कि बच्चे को ऊंचाई से नीचे फेंकने पर उसका और उसके परिवार का भाग्योदय होता है। इसके साथ ही बच्चा स्वस्थ रहता है। यहां करीब 50 फीट की ऊंचाई से बच्चे को फेंका जाता है, जहां नीचे खड़े लोग उसे चादर से पकड़ते हैं। पिछले 700 सालों से यहां बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं।
2. बारिश के लिए मेंढकों की शादी![8 Weird Indian Traditions in Hindi Amazing Indian Traditions in Hindi](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_vuG4gsZnIbZG8ICQJ2kq1EZ-6lEmS8ggN9GxEqaIPJAbhdEiEhg1-dWS8JFmkHXT6tn0Nbgacg03xVFoXdNlERnpz6CQa0xrHazRT7UTGD6_2UzsuCcVsXTivWJp0=s0-d)
हमारे देश के ही कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी पूरे रीति-रिवाज से कराई जाती है। दरअसल असम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लोग बारिश के लिए मेंढकों की शादी कराते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि मेंढकों की शादी कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और उस साल भरपूर बारिश होती है।
3. चर्म रोगों से बचने के लिए फूड बाथ![8 Weird Indian Rituals in Hindi 8 Weird Indian Rituals in Hindi](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_vrsA51B8cNOBWIM9DGQExERwET2-jCzd156lnyo4it8UGIZKx7jkhGwCLDkgYiOfIYOG6uqHaHl7eGkHaBIaFbvp-zuSY7XTLaXIl-LkvPuUB3keM5P7U6aPjQgm2o=s0-d)
कर्नाटक के कुछ ग्रामीण इलाकों में स्थित मंदिरों में भोज के बाद बचे हुए खाने पर लोटने की परंपरा है। यहां ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग और बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। दरअसल मंदिर के बाहर ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोजन कराया जाता है। बाद में नीची जाति के लोग इस बचे हुए भोजन पर लोटते हैं। इसके बाद ये लोग कुमारधारा नदी में स्नान करते हैं और इस तरह यह परंपरा पूरी होती है।
4. विकलांगता से बचाने के लिए गले तक जमीन में![Amazing Indian Rituals in Hindi Amazing Indian Rituals in Hindi](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_umRMZ3bGrT0l-6NUC4NV30x0xJp9vOQwg6vmcXTk2I2XQKPOU0Yy8kinSZhPmoQMmluOXwYqQQ92vgzvp3BCIDpC9Bav0t3isRGaNyekFOCDfuwdNVyuMdN-GNT9Hx=s0-d)
उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है। यहां बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए उन्हें गले तक जमीन में गाड़ दिया जाता है। यह अनुष्ठान सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण शुरू होने के 15 मिनट पहले शुरू होता है। ऐसी मान्यता है कि बच्चों को कुछ घंटे के लिए जमीन में दबाने से उन्हें शारीरिक और मानसिक अपंगता से छुटकारा मिलता है।
5. चेचक से बचने को छेदते हैं शरीर![Vichitra Hindustani Parmpara Vichitra Hindustani Parmpara](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uiOpJzRw7Gl2PyeTjTZLAISWohSkyOSO9BIipD2ZC4tGHoeojsDYNuyBBLzRv1Be43sNbTjDMHvTKw7FUB7jKTsUaCfCKHTT96dJgb3oRY-kHmeegoggo94NwO0jLl=s0-d)
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में हनुमान जयंती के अवसर पर होने वाले पारंपरिक उत्सव में लोग अपने शरीर को छेदते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से वो माता (चेचक) के प्रकोप से बच जाते हैं। मार्च के आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आने वाली चैत्र पूर्णिमा के दिन लोग ऐसा करते हैं। शरीर को छेदने के बाद ये लोग खुशी से नाचते-गाते हैं।
6. खौलते दूध से बच्चों को नहलाना![26](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uFMynge1jx7jUmgB2mxWHSEcsdgAH9NRqglhtLuwhKQnzAQo5ZmQ-tTJfSnBomZ3idJi162eqqgGta3EmStZiIvkbXK5m5pLGWCKwqdp1Wuo1CsVMQ7gnt5v4spRc=s0-d)
उत्तरप्रदेश में वाराणसी और मिर्जापुर के कुछ मंदिरों में ‘कराहा पूजन’ की अनोखी परंपरा है। यहां नवजात बच्चों को खौलते दूध से नहलाया जाता है और यह काम बच्चे का पिता ही करता है। बाद में वह खुद खौलते दूध से नहाता है। यह उत्सव मनाने के दौरान मंत्र और श्लोक भी पढ़े जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होकर बच्चे को अपना आशीर्वाद देते हैं। नवरात्रि पर भी ‘कराहा पूजन’ किया जाता है, जिसमें पुजारी खौलती खीर से नहाते हैं।
7. गायों के पैरों से कुचलना![Tradition or Superstition In India Tradition or Superstition In India](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uDfFcRFltRMgk83BVv9q0oRVR8ZuPq-22BKdArBm6NSMKNHeRtyQFQCVPaqFGnN3x55pQJaN3poVeRDDIwnD_CgRwXYel_EJEES6abHJp8dDqhF72xUoQtmXsl4FmK=s0-d)
भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कुछ गावों में एक अजीब सी परम्परा का पालन सदियो से किया जा रहा है। इसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से दौड़ती हुए गाये गुजारी जाती हैं। इस परंपरा का पालन दीवाली के अगले दिन किया जाता है जो कि एकादशी का पर्व कहलाता है। इस दिन उज्जैन जिले के Bhidawad और आस पास के गाँव के लोग पहले अपनी गायों को रंगों और मेहंदी से अलग-अलग पैटर्न से सजाते हैं। उसके
बाद लोग अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते है और अंत में दौड़ती हुए गायें उन पर से गुजर जाती हैं।
8. बच्चियों की कुत्तों से शादी![weird Indian Superstition in Hindi weird Indian Superstition in Hindi](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uG0bRXgzmBdTupK0RXsrIRnC0AS51PK7wV6XEPrA8i2zSt8NI3frbM6pAwy-sAmoPaNVgW7bXF7cQg3umdMFdvB3dk_2IDJY26X2vG5wwF12aspwaLaABFXYPYC8w5=s0-d)
इसे परम्परा ना कहकर कुरुति कहा जाए तो ज्यादा उपयुक्त होगा। इसमें भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने के नाम पर बच्चियों की शादी कुत्तों से करवाई जाती है। हालाकि ये शादी सांकेतिक होती हैं, पर होती हैं असली हिन्दू तरीके और रीती रिवाज़ से। लोगों को शादी में आने का निमंत्रण दिया जाता है। पंडित, हलवाई सब बुक किये जाते है। बाकायदा मंडप तैयार होता है और पुरे मन्त्र विधान से शादी सम्पन कराई जाती है। इस शादी में एक असली शादी जितना ही खर्चा बैठता है और उससे भी बड़ी बात कि समाज एवं रिश्तेदार भी इसमें बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते है। शायद आपको एक बार तो यकीन ही नहीं होगा कि ऐसा भी हो सकता है। लेकिन यह बिलकुल सत्य है। हमारे देश में झारखण्ड राज्य के कई इलाकों में परंपरा के नाम पर ऐसी शादियां सदियों से कराई जा रही है।
महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर दरगाह और कर्नाटक के इंदी स्थित श्री संतेश्वर मंदिर में तो बच्चों को छत से नीचे फेंका जाता है। यहां ऐसी मान्यता है कि बच्चे को ऊंचाई से नीचे फेंकने पर उसका और उसके परिवार का भाग्योदय होता है। इसके साथ ही बच्चा स्वस्थ रहता है। यहां करीब 50 फीट की ऊंचाई से बच्चे को फेंका जाता है, जहां नीचे खड़े लोग उसे चादर से पकड़ते हैं। पिछले 700 सालों से यहां बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं।
2. बारिश के लिए मेंढकों की शादी
हमारे देश के ही कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी पूरे रीति-रिवाज से कराई जाती है। दरअसल असम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लोग बारिश के लिए मेंढकों की शादी कराते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि मेंढकों की शादी कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और उस साल भरपूर बारिश होती है।
कर्नाटक के कुछ ग्रामीण इलाकों में स्थित मंदिरों में भोज के बाद बचे हुए खाने पर लोटने की परंपरा है। यहां ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग और बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। दरअसल मंदिर के बाहर ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोजन कराया जाता है। बाद में नीची जाति के लोग इस बचे हुए भोजन पर लोटते हैं। इसके बाद ये लोग कुमारधारा नदी में स्नान करते हैं और इस तरह यह परंपरा पूरी होती है।
4. विकलांगता से बचाने के लिए गले तक जमीन में
उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है। यहां बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए उन्हें गले तक जमीन में गाड़ दिया जाता है। यह अनुष्ठान सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण शुरू होने के 15 मिनट पहले शुरू होता है। ऐसी मान्यता है कि बच्चों को कुछ घंटे के लिए जमीन में दबाने से उन्हें शारीरिक और मानसिक अपंगता से छुटकारा मिलता है।
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में हनुमान जयंती के अवसर पर होने वाले पारंपरिक उत्सव में लोग अपने शरीर को छेदते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से वो माता (चेचक) के प्रकोप से बच जाते हैं। मार्च के आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आने वाली चैत्र पूर्णिमा के दिन लोग ऐसा करते हैं। शरीर को छेदने के बाद ये लोग खुशी से नाचते-गाते हैं।
6. खौलते दूध से बच्चों को नहलाना
उत्तरप्रदेश में वाराणसी और मिर्जापुर के कुछ मंदिरों में ‘कराहा पूजन’ की अनोखी परंपरा है। यहां नवजात बच्चों को खौलते दूध से नहलाया जाता है और यह काम बच्चे का पिता ही करता है। बाद में वह खुद खौलते दूध से नहाता है। यह उत्सव मनाने के दौरान मंत्र और श्लोक भी पढ़े जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होकर बच्चे को अपना आशीर्वाद देते हैं। नवरात्रि पर भी ‘कराहा पूजन’ किया जाता है, जिसमें पुजारी खौलती खीर से नहाते हैं।
भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कुछ गावों में एक अजीब सी परम्परा का पालन सदियो से किया जा रहा है। इसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से दौड़ती हुए गाये गुजारी जाती हैं। इस परंपरा का पालन दीवाली के अगले दिन किया जाता है जो कि एकादशी का पर्व कहलाता है। इस दिन उज्जैन जिले के Bhidawad और आस पास के गाँव के लोग पहले अपनी गायों को रंगों और मेहंदी से अलग-अलग पैटर्न से सजाते हैं। उसके
बाद लोग अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते है और अंत में दौड़ती हुए गायें उन पर से गुजर जाती हैं।
इसे परम्परा ना कहकर कुरुति कहा जाए तो ज्यादा उपयुक्त होगा। इसमें भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने के नाम पर बच्चियों की शादी कुत्तों से करवाई जाती है। हालाकि ये शादी सांकेतिक होती हैं, पर होती हैं असली हिन्दू तरीके और रीती रिवाज़ से। लोगों को शादी में आने का निमंत्रण दिया जाता है। पंडित, हलवाई सब बुक किये जाते है। बाकायदा मंडप तैयार होता है और पुरे मन्त्र विधान से शादी सम्पन कराई जाती है। इस शादी में एक असली शादी जितना ही खर्चा बैठता है और उससे भी बड़ी बात कि समाज एवं रिश्तेदार भी इसमें बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते है। शायद आपको एक बार तो यकीन ही नहीं होगा कि ऐसा भी हो सकता है। लेकिन यह बिलकुल सत्य है। हमारे देश में झारखण्ड राज्य के कई इलाकों में परंपरा के नाम पर ऐसी शादियां सदियों से कराई जा रही है।
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