Tuesday, 5 September 2017
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क्या आपने कभी एक्स-रे करवाया है? मानव-शरीर में हड्डियों, दांतों और अंगों के साथ समस्याओं का विश्लेषण करने के लिए एक्स-रे का उपयोग किया जाता है। वहीं उद्योग में किसी धातु में दरारों का पता लगाने के लिए और हवाई अड्डे पर सामान का निरीक्षण करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
ये तो हम सभी जानते हैं कि एक्स-रे हमारे लिए कितनी काम की चीज़ है, लेकिन फिर भी आपको जानकर हैरानी होगी कि एक्स-रे का आविष्कार जानबूझकर नहीं हुआ था। दरअसल ये 1895 में जर्मन भौतिकविद् विल्हेम कॉनराड रोन्टजेन द्वारा की गई एक आकस्मिक खोज है।
ग्लास कैथोड-रे ट्यूबों के माध्यम से विद्युत धाराओं का प्रयोग करते हुए, रॉन्टजेन ने पाया कि बैरियम प्लैटिनोसाइनाइड का एक टुकड़ा चमक रहा है, जबकि ट्यूब मोटी ब्लैक कार्डबोर्ड में लगाई गई थी और वह कमरे के पास थी। उन्होंने सोचा कि शायद अंतरिक्ष में किसी तरह का रेडीएशन ट्रेवल कर रहा होगा।
रोन्टजेन को तब तक अपनी खोज पूरी तरह से समझ नहीं आई थी, इसलिए उसने अपनी इस अस्पष्ट प्रकृति को एक्स-रेडिएशन करार दिया। अपने नए सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए रोन्टजेन ने सबसे पहले अपनी पत्नी की मदद से अपनी पहली एक्सरे फोटो में उनके हाथों की हड्डियों और उसकी शादी की अंगूठी का एक्सरे निकाला।
इस पहली तस्वीर को रॉन्टजेनोग्राम के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने पाया कि जब पूरे अंधेरे कमरे में इसे निकालते हैं, तो एक्स-रे अलग-अलग घनत्व की वस्तुओं के माध्यम से पारित होते हैं, जो कि उनकी पत्नी के हाथों की मांस और मांसपेशियों को अधिकतर पारदर्शी बनाता है।
डेंसर हड्डियां और अंगूठी बेरियम प्लैटिनोसाइनाइड में शामिल एक विशेष फोटो प्लेट पर एक शेडो पीछे छोड़ती है। शब्द एक्स-विकिरण या एक्स-रे अब भी कभी-कभी जर्मन बोलने वाले देशों में रॉन्टजेन किरण के रूप में संदर्भित होता है। रोन्टजेन की खोज ने वैज्ञानिक समुदाय और जनता के बीच सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने जनवरी 1896 में एक्स-रे पर अपना पहला सार्वजनिक व्याख्यान दिया और जीवित मांस के भीतर की हड्डियों को चित्रित करने की किरणों की क्षमता दिखायी। कुछ हफ्ते बाद कनाडा में, एक एक्स-रे का उपयोग मरीज के पैर में एक बुलेट को खोजने के लिए किया गया था।
इस खोज के लिए 1901 में भौतिक विज्ञान का पहला नोबेल पुरस्कार मिला। रोन्टजेन ने जानबूझकर अपनी खोज को पेटेंट नहीं किया, क्योंकि उनका ये मानना था कि वैज्ञानिक प्रगति दुनिया के लिए होती है, ना कि लाभ के लिए।
जानिए x-ray की खोज से जुड़ी रोचक घटना।
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On: 10:00
क्या आपने कभी एक्स-रे करवाया है? मानव-शरीर में हड्डियों, दांतों और अंगों के साथ समस्याओं का विश्लेषण करने के लिए एक्स-रे का उपयोग किया जाता है। वहीं उद्योग में किसी धातु में दरारों का पता लगाने के लिए और हवाई अड्डे पर सामान का निरीक्षण करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
ये तो हम सभी जानते हैं कि एक्स-रे हमारे लिए कितनी काम की चीज़ है, लेकिन फिर भी आपको जानकर हैरानी होगी कि एक्स-रे का आविष्कार जानबूझकर नहीं हुआ था। दरअसल ये 1895 में जर्मन भौतिकविद् विल्हेम कॉनराड रोन्टजेन द्वारा की गई एक आकस्मिक खोज है।
ग्लास कैथोड-रे ट्यूबों के माध्यम से विद्युत धाराओं का प्रयोग करते हुए, रॉन्टजेन ने पाया कि बैरियम प्लैटिनोसाइनाइड का एक टुकड़ा चमक रहा है, जबकि ट्यूब मोटी ब्लैक कार्डबोर्ड में लगाई गई थी और वह कमरे के पास थी। उन्होंने सोचा कि शायद अंतरिक्ष में किसी तरह का रेडीएशन ट्रेवल कर रहा होगा।
रोन्टजेन को तब तक अपनी खोज पूरी तरह से समझ नहीं आई थी, इसलिए उसने अपनी इस अस्पष्ट प्रकृति को एक्स-रेडिएशन करार दिया। अपने नए सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए रोन्टजेन ने सबसे पहले अपनी पत्नी की मदद से अपनी पहली एक्सरे फोटो में उनके हाथों की हड्डियों और उसकी शादी की अंगूठी का एक्सरे निकाला।
इस पहली तस्वीर को रॉन्टजेनोग्राम के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने पाया कि जब पूरे अंधेरे कमरे में इसे निकालते हैं, तो एक्स-रे अलग-अलग घनत्व की वस्तुओं के माध्यम से पारित होते हैं, जो कि उनकी पत्नी के हाथों की मांस और मांसपेशियों को अधिकतर पारदर्शी बनाता है।
डेंसर हड्डियां और अंगूठी बेरियम प्लैटिनोसाइनाइड में शामिल एक विशेष फोटो प्लेट पर एक शेडो पीछे छोड़ती है। शब्द एक्स-विकिरण या एक्स-रे अब भी कभी-कभी जर्मन बोलने वाले देशों में रॉन्टजेन किरण के रूप में संदर्भित होता है। रोन्टजेन की खोज ने वैज्ञानिक समुदाय और जनता के बीच सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने जनवरी 1896 में एक्स-रे पर अपना पहला सार्वजनिक व्याख्यान दिया और जीवित मांस के भीतर की हड्डियों को चित्रित करने की किरणों की क्षमता दिखायी। कुछ हफ्ते बाद कनाडा में, एक एक्स-रे का उपयोग मरीज के पैर में एक बुलेट को खोजने के लिए किया गया था।
इस खोज के लिए 1901 में भौतिक विज्ञान का पहला नोबेल पुरस्कार मिला। रोन्टजेन ने जानबूझकर अपनी खोज को पेटेंट नहीं किया, क्योंकि उनका ये मानना था कि वैज्ञानिक प्रगति दुनिया के लिए होती है, ना कि लाभ के लिए।
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