Monday, 11 September 2017
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अक्सर हमने पढ़ा है कि यह ग्रेविटी ही है, जिसकी वजह से हम जमीन पर चल पा रहे हैं, ग्राउंडेड रहते हैं। गुरुत्वाकर्षण , जो कि एक साथ पदार्थ खींचने वाली प्राकृतिक घटना है। लेकिन क्या हो अगर हमारे ग्रह को पाँच सेकेंड्स तक गुरुत्वाकर्षण खोना पड़ जाए? तो क्या यह वास्तव में पृथ्वी पर जीवन का अंत हो सकता है?
गुरुत्वाकर्षण किसी ऑब्जेक्ट को एक दूसरे की ओर खींचती है, कोई ऑब्जेक्ट जितना बड़ा हेगा, उसका ग्रेविटेशनल पुल भी उतना ही ज्यादा होगा। हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी बहुत बड़ी है और बहुत करीब है। इसकी गुरुत्वाकर्षण की वजह से जब हम कुछ हवा में भी फेंकते हैं तो वो ज़मीन पर आकर गिरता है।
सूर्य पृथ्वी से बहुत अधिक बड़ा है, इतना की हमारे ग्रह की करीब 1 मिलियन से अधिक कॉपीज़ इसके अंदर फिट हो सकती हैं। यह सूरज का गुरुत्वाकर्षण ही है, जिसकी वजह से हमारा ग्रह और अन्य इसके चारों ओर ऑर्बिट करते हैं। गुरुत्वाकर्षण के बिना, इंसान और अन्य वस्तुएं वजनहीन हो जाती हैं।
कभी फिल्में देखें जहां अंतरिक्ष यात्री चन्द्रमा पर अपने देश के झंडे लगाने की कोशिश कर रहे हैं? वे ऊपर और नीचे होते रहते हैं, क्योंकि चंद्रमा बहुत छोटा है और इसलिए वहां पृथ्वी की तुलना में बहुत कम गुरुत्व है। ऐसा ही कुछ अंतरिक्ष यान में वेटलेस होकर तैरते अंतरिक्ष यात्री के साथ भी होता है।
वहीं पृथ्वी पर वापस आते ही वो वापस ज़मीन पर आ जाते हैं, क्योंकि यहां का गुरूत्वाकर्षण उन्हें वापस खींच लेता है। अगर धरती अचानक अपना सारा गुरूत्वाकर्षण को खो देती है, तो हम सिर्फ फ्लोटिंग शुरू नहीं करेंगे, बल्कि यह मानवों के साथ-साथ कारों और इमारतों जैसे चीजों को भी फास्ट-मूविंग बना देगा।
इसका कारण यह है कि ग्रह गुरुत्वाकर्षण के बिना भी स्पिनिंग जारी रखेगा। गुरुत्वाकर्षण की हानि का मतलब होगा कि ग्रह हवा, पानी और पृथ्वी के वायुमंडल को भी नीचे खींचने से रोक देगा। शायद यही तबाही की वजह बन सकता है। अचानक और महत्वपूर्ण वायु दबाव के नुकसान से सभी के इनर ईयर को नुकसान पहुंचाएगा।
क्या होगा अगर पृथ्वी 5 सेकण्ड के लिए अपना गुरुत्वाकर्षण खो दे!
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On: 10:00
अक्सर हमने पढ़ा है कि यह ग्रेविटी ही है, जिसकी वजह से हम जमीन पर चल पा रहे हैं, ग्राउंडेड रहते हैं। गुरुत्वाकर्षण , जो कि एक साथ पदार्थ खींचने वाली प्राकृतिक घटना है। लेकिन क्या हो अगर हमारे ग्रह को पाँच सेकेंड्स तक गुरुत्वाकर्षण खोना पड़ जाए? तो क्या यह वास्तव में पृथ्वी पर जीवन का अंत हो सकता है?
गुरुत्वाकर्षण किसी ऑब्जेक्ट को एक दूसरे की ओर खींचती है, कोई ऑब्जेक्ट जितना बड़ा हेगा, उसका ग्रेविटेशनल पुल भी उतना ही ज्यादा होगा। हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी बहुत बड़ी है और बहुत करीब है। इसकी गुरुत्वाकर्षण की वजह से जब हम कुछ हवा में भी फेंकते हैं तो वो ज़मीन पर आकर गिरता है।
सूर्य पृथ्वी से बहुत अधिक बड़ा है, इतना की हमारे ग्रह की करीब 1 मिलियन से अधिक कॉपीज़ इसके अंदर फिट हो सकती हैं। यह सूरज का गुरुत्वाकर्षण ही है, जिसकी वजह से हमारा ग्रह और अन्य इसके चारों ओर ऑर्बिट करते हैं। गुरुत्वाकर्षण के बिना, इंसान और अन्य वस्तुएं वजनहीन हो जाती हैं।
कभी फिल्में देखें जहां अंतरिक्ष यात्री चन्द्रमा पर अपने देश के झंडे लगाने की कोशिश कर रहे हैं? वे ऊपर और नीचे होते रहते हैं, क्योंकि चंद्रमा बहुत छोटा है और इसलिए वहां पृथ्वी की तुलना में बहुत कम गुरुत्व है। ऐसा ही कुछ अंतरिक्ष यान में वेटलेस होकर तैरते अंतरिक्ष यात्री के साथ भी होता है।
वहीं पृथ्वी पर वापस आते ही वो वापस ज़मीन पर आ जाते हैं, क्योंकि यहां का गुरूत्वाकर्षण उन्हें वापस खींच लेता है। अगर धरती अचानक अपना सारा गुरूत्वाकर्षण को खो देती है, तो हम सिर्फ फ्लोटिंग शुरू नहीं करेंगे, बल्कि यह मानवों के साथ-साथ कारों और इमारतों जैसे चीजों को भी फास्ट-मूविंग बना देगा।
इसका कारण यह है कि ग्रह गुरुत्वाकर्षण के बिना भी स्पिनिंग जारी रखेगा। गुरुत्वाकर्षण की हानि का मतलब होगा कि ग्रह हवा, पानी और पृथ्वी के वायुमंडल को भी नीचे खींचने से रोक देगा। शायद यही तबाही की वजह बन सकता है। अचानक और महत्वपूर्ण वायु दबाव के नुकसान से सभी के इनर ईयर को नुकसान पहुंचाएगा।
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