नवरात्र में शक्ति के 9 रूपों का रहस्य व पूजन
Navtratri me Maa Durga Poojan evam Rahasya
नवरात्री का शाब्दिक अर्थ नव + रात्री अर्थात नौं रात्रियां है | आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रथम नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रुपों की पूजा-आराधना की जाती है | यह पर्व उतर भारत में विशेष रूप से उत्साह और श्राद्ध के साथ मनाया जाता है|”
“नवरात्रि के नौ दिनों में जप करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है, और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, एक वर्ष में चार नवरात्रों का वर्णन मिलता है, दो गुप्त तथा दो प्रत्यक्ष|”
“प्रत्यक्ष नवरात्रों में एक को शारदीय व दूसरे को वासंतिक नवरात्र कहा जाता है, देवी शक्ति और उसके विभिन्न रुपों की पूजा के लिए भारत विश्वभर में प्रसिद्द है | नवरात्रि गुजरात और पश्चिम बंगाल में विशेष पर्व के रूप में मनाई जाती है, नवरात्रे पर उपवास कर रात्रि में माता की आराधना करना कल्याणकारी माना गया है|
यह भी पढ़े: भगवान श्री राम की मृत्यु कैसे हुई |
1. प्रथम नवरात्रा – माता शैलपुत्री
प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है, शैलपुत्री के पूजा से उपवास शुरू होकर नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा के साथ समाप्त होते है | प्रथम दिन व्रत संकल्प, कलश स्थापना का दिन होता है तथा भक्त जन प्रथम दिन देवी सती के रूप शैलपुत्री का विधि-विधान से पूजन करते है | देवी की पूजा में लाल रंग की वस्तुओं का विशेष महत्व है | व्रत के दिन फल, दूध, साबूदाना व्यंजन, आलू व्यंजन और सेंधा नमक का प्रयोग सेवन के लिए किया जाता है |
प्रथम नवरात्रे के दिन भक्त उपवास करने के बाद, दुर्गा जी की आरती करके, तांबे का शैलपुत्री माता का चित्रयुक्त बीसा यंत्र भक्तों में बांटे पर विशेष पुण्य फल प्राप्त कर सकते है|
लाभ : माता शैलपुत्री की उपासना से शत्रुओं पर पूर्ण विजय, राज्य बाधा निवारण, सभी प्रकार के भय दूर व रोगों की समाप्ति होती है |
2. द्वितीय नवरात्रा – माता ब्रह्माचारिणी
दूसरे नवरात्रे के दिन माता ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है | माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप उनके भक्तों को अनंत फल देने वाला है | इस दिन मंदिरों में ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शनों के लिए भक्तों में विशेष उत्साह देखा जाता है |
लाभ : अतुलनीय उन्नति, बुद्धि, ज्ञान, शक्ति, विजय, अकाल मृत्यु- दुर्घटना के निवारण हेतू, आकस्मिक धन प्राप्ति व अतुलनीय व्यापार वृद्धि |
यह भी पढ़े: मरने के बाद कब मिलता है दूसरा शरीर ?
3. तृतीय नवरात्रा – माता चंद्रघंटा
नव दुर्गा पूजन के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा के शरणागत होकर उपासना, आराधना में तत्पर हों, तो समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त हो कर, सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते है |
लाभ : पुरूषार्थ, सौन्दर्य, पराक्रम, आरोग्य, वशीकरण शक्ति, दीर्घायु व ग्रहस्थ सुख |
4. चौथा नवरात्रा – माता कूष्मांडा
माँ दुर्गा पूजन के चोथे दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा की उपासना की जाती है | कूष्मांडा देवी का ध्यान करने से अपनी लौकिक-पारलौकिक उन्नति चाहने वालों पर इनकी विशेष कृपा होती है |
लाभ : धन संपदा, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति |
यह भी पढ़े: नकारात्मक उर्जा हो तो पूजा में बाधा होती है
5. पांचवा नवरात्रा – स्कन्द माता
पंचम नव रात्री को स्कन्द माता की पूजा की जाती है | नव दुर्गा पूजन के पांचवे दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप-स्कंदमाता की उपासना करनी चाहिए | स्कंदमाता का ध्यान करने से साधक, इस भवसागर के दु: खों से मुक्त होकर, मोक्ष को प्राप्त करता है |
लाभ : पापों का नाश, कष्टों का निवारण, नौकरी बाधा समाप्त राजनैतिक स्तर पर सफलता, लौहे के समान दृढ़ता व वाक् सिद्धि |
6. षष्ट नवरात्रा – कात्यायनी माता
छठे नव रात्रि को कात्यायनी माता की पूजा की जाती है | कात्यायनी माता के द्वारा बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति है जाती हो |
लाभ : भय, शारीरिक दुर्बलता, भूत प्रेत बाधा, शत्रुओं के निवारण हेतु, आत्मविश्वास, बल, वीर्य व पुरूषार्थ में वृद्धि |
यह भी पढ़े:महाभारत इन सुंदर स्त्रियों की वजह से हुआ
7. सप्तम नवरात्रा – कालरात्रि माता
सप्तम नवरात्रि को कालरात्रि माता की पूजा की जाती है | माता कालरात्रि का ध्यान करने से साधक को इनकी उपासना से होने वाले फलों की गणना नहीं की जा सकती | माता काल-रात्रि का पूजन करने से साधक को मृत्यु का भय नहीं रहता है |
लाभ : सुरक्षा कवच प्रदान करती है तथा सन्तान, व्यापार रक्षा प्रदान करती है |
8. अष्टम नव रात्रि – महागौरी माता
माता सती का आठवां रूप महागौरी है | अष्टम नवरात्रि को महागौरी माता की पूजा की जाती है | महागौरी माता का ध्यान करने वाले साधक के लिए असंभव कार्य भी संभव हो जाते है |
लाभ : लक्ष्मी, धन की देवी, दरिद्रता निवारण, सुख, वैभव, सौभाग्य, अनायास धन, पुरूषार्थ, स्वर्ण, संपति, वाहन, भवन, व्यापार, मान-सम्मान प्राप्त होता है |
9. नवम नव रात्रि – सिद्धिदात्री माता
नवम नव रात्रि को सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है | माता सिद्धिदात्री की उपासना से इस संसार की वास्तविकता का बोध होता है | वास्तविकता परम शांतिदायक अमृत पद की और ले जाने वाली होती है |
लाभ : दुःख, कष्ट, शत्रु, बाधाओं की समाप्ति, अभय व पुरूषार्थ प्रदान करती है |
\
0 comments:
Post a Comment