Saturday, 6 August 2016

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दहशत का सबब बनी मिस्र की 'ममी'

By: Secret On: 18:55
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  • दहशत का सबब बनी मिस्र की 'ममी'

    वैसे अब इसे मानव मस्तिष्क में उठने वाली लहर कह लीजिए या फिर सामान्य जिज्ञासा की पहचान लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि जब भी कहीं हॉररप्रेत या पिशाच से जुड़ी खबरें सुनते या पढ़ते हैं तो भले ही हम खुद को बेखौफ बताते हुए इन सब बातों को मनगढ़त करार दें लेकिन सच यही है कि कहीं ना कहीं हमारा दिमाग इन सब बातों पर अटक जाता है और हम यह सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि क्या वाकई ऐसा हो सकता हैया अगर ऐसा है तो क्या सच में प्रेत आत्माएं आसानी से इंसानी दुनिया में विचरण करती हैं?
    मिस्र के चर्चित पिरामिडों में कैद ममी के बारे में तो हम सभी जानते हैं. प्राचीन मिस्र में ऐसा माना था कि मरने के बाद भी आत्मा को हर उस चीज की जरूरत पड़ती है जो वह जीवित रहते हुए प्रयोग कर रही है. इसीलिए जब भी कोई मरता था तो उसके शरीर को केमिकल लगाकर कुछ इस तरह दफनाया जाता था कि उसके मृत शरीर में से बदबू ना आए और ना ही उसका शरीर सामान्य गति के साथ गलने लगे. इतना ही नहीं मरने के बाद भी जीवन के होने में यकीन रखने वाले मिस्र के लोग मृत शरीर के साथ जरूरी सामान भी रख दिया करते थेताकि आत्मा को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो. मरने के बाद भी जीवन जैसी बात मिस्र के लोगों के साथ अन्य देशों के लोगों को आज बहुत दिलचस्प लगती है और यह सब वृत्तांत तब और ज्यादा आकर्षित करते हैं जब ममी के जिंदा होने की बात सुनाई देने लगे. ममी अलाइवममी रिटर्न जैसीहॉलिवुड फिल्में देखने वाले लोग ममी के खौफ से भली-भांति परिचित होंगे लेकिन हो सकता है उन्हें यह सब फिल्मी मसाला लगता हो. अगर ऐसा है तो हम आपको एक अजीबोगरीब घटना से अवगत करवाने जा रहे हैं जो ममी की दहशत और उसके जिन्दा होने जैसी बातों को स्वत: बयान करती है.
    मैनचेस्टर म्यूजियम (ब्रिटेन) में एक ऐसी प्राचीन मिस्र की मूर्ति को लाया गया है जोअपने आप घूमती है. दिनभर शांत और एक तरफ पड़ी रहने वाली यह मूर्ति दिन ढलते ही भयानक मंजर को आमंत्रित करती है. कार्बन डेटिंग प्रक्रिया के तहत इस 10 इंच ऊंची मूर्ति की उम्र लगभग 18,00 बी.सी. बताई जा रही है और इसे 1933 में ब्रिटेन के इस म्यूजियम में लाया गया था. लेकिन अब यह मूर्ति घूमने लगी हैवह अपनी जगह बदलने लगी है. यह मूर्ति एक पुरानी ममी की कब्रमें से निकाली गई है और अब जब यह मूर्ति अपनी दिशा बदलकर इधर-उधर घूमने लगीहै तो यह सामान्य लोगों के साथ-साथ संग्रहालयों से जुड़े लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बन गई है. उल्लेखनीय है कि जब संग्रहालय से जुड़े लोगों ने अगले दिन मूर्ति की दिशा को बदला हुआ देखा तो उन्होंने इस मूर्ति के सामने सीसीटीवी लगा दिया और अगले दिन जब कैमरे की फुटेज में इस मूर्ति को घूमते हुए देखा तो किसी को भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ.!!

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