विशालकाय रहस्यमयी समुद्री सांपो को देखे जाने की 10 घटनाएं (10 Mysterious Incident To See Sea Serpent):
Hindi Mysterious Stories of Sea Monster : हमारी पृथ्वी का 70 % भाग विशाल महासागरों से घिरा है। पुराने समय से ही इंसान इन महासागरों के ज़रिये सुदूर देशो की लम्बी लम्बी यात्राएँ करते आये है। अपनी इन यात्राओ के दौरान उनका कभी कभी विशालकाय समुद्री जीवो (Sea Monster) से भी सामना हो जाता था, जिनमे से अधिकतर दैत्याकार सांप (Sea serpent) होते थे। इन दैत्याकार सांपो को देखे जाने का वर्णन, प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय, तक के कई यात्रा वृतांतों में किया गया है। हालांकि कुछ समय पहले तक हमारे पास इन सी मॉन्स्टर के बारे कोई पुख्ता प्रमाण नहीं था। हमारे पास केवल लोगो के सुनाये हुए किस्से ही थे जिसे की कुछ लोग उनकी काल्पनिकता कह कर खारिज कर देते थे। पर 2009 में अलास्का के मछुआरों के एक ग्रुप ने प्रशांत महासागर में एक विशालकाय सांप ‘कैडी’ का वीडियो शूट किया। इस सी मॉन्स्टर को इस इलाके में देखे जाने की खबरे 1892 से आती रही है। इस वीडियो को देखकर ब्रिटिश वैज्ञानिक ‘Paul Leblond’ भी अचम्भित रह गए, जिन्होंने की प्रशांत महासागर के सी मॉन्स्टर के ऊपर कई सालो तक गहन रिसर्च करके एक बुक लिखी थी। इस वीडियो के आने के बाद इन बातो को बल मिला की इतिहास में जितने भी सी मॉन्स्टर की बाते की गई है वो सब काल्पनिक नहीं है, उनमे कुछ न कुछ तो हकीकत है। वैसे भी हम आज तक पृथ्वी के 30 % स्थल भाग, जिस पर की हम रहते है, को भी पूरी तरह नहीं जान पाये है। केवल 2013 में ही वैज्ञानिकों ने हमारी धरती पर 18000 से ज्यादा नए तरह के जीव जंतु, कीड़े मकोड़े और वनस्पतियो की खोज की है। अब यदि हम बात करे महासागरों की तो उसको तो अभी तक हम 1 – 2 % से ज्यादा नहीं जान पाये है। महासागरों के कई सुदूर हिस्से तो ऐसे है जहा पर आज तक इंसान पहुंच ही नहीं पाया है। आज हम आपको 10 ऐसे ही दैत्याकार सांपो के बारे में बताएँगे जिन्हे की महासागरों में देखे जाने की बाते की जाती रही है। यदि आप ‘डिस्कवरी चैनल (Discovery Channel)’ के नियमित दर्शक है तो इनमे से कइयों के ऊपर आप डॉक्यूमेंट्री देख भी चुके होंगे। तो आइये शुरुआत करते है कैडी से –
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1. कैडी (Cadborosaurus willsi or Caddy ) :
ब्रिटिश कोलंबिया के करीब नॉर्थ अमेरिका के प्रशांत तट पर केडबोरोसा विलसी नाम का एक समुद्री सांप देखा गया। लोगों ने इसका नाम ‘कैडी’ रखा। इस जीव को पहली बार ग्रेटर विक्टोरिया के केडबोरो खाड़ी में देखा गया था और इसी जगह पर इसका नाम रखा गया। इस जीव के दिखने की बात 1892 से सामने आ रही थी, लेकिन ‘विक्टोरिया टाइम्स’ के एडिटर आरकाई विल्स ने इस जीव को 1933 में सबसे पहले नाम दिया। कैडी के दिखने के मामले कई बार दर्ज किए गए हैं। कई बड़े प्रतिष्ठित लोगों ने इसके दिखने का दावा किया है।
अन्य समुद्री सांपो की तरह कैडी को भी लंबा और घोड़े जैसे मुंह वाला बताया गया है। तटों पर बह कर आए कई शवों को भी इन जीवों का ही बताया गया। 1936 में कैंप फिरकोम पर बह कर आए कई विचित्र शव आज भी रहस्य बने हुए हैं।
अन्य समुद्री सांपो की तरह कैडी को भी लंबा और घोड़े जैसे मुंह वाला बताया गया है। तटों पर बह कर आए कई शवों को भी इन जीवों का ही बताया गया। 1936 में कैंप फिरकोम पर बह कर आए कई विचित्र शव आज भी रहस्य बने हुए हैं।
कैडी के ताजा सबूत 2009 में अलास्का के एक मछुआरे द्वारा लिए वीडियो में दिखते हैं। इस वीडियो में एक बड़े से जीव को पानी की सतह पर तैरते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो को देखकर कई ब्रिटिश वैज्ञानिक काफी प्रभावित हुए और डिस्कवरी चैनल ने इस पर खास प्रोग्राम बनाया था।
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कैडी का वीडियो –
2 . स्टिनसन तट का समुद्री सांप (Sea Serpent at Stinson Beach) :
ये घटना 1983 की है जब दो कर्मचारी हैलोवन स्थित कैलिफ़ोर्निया हाईवे पर काम कर रहे थे। तभी उन्होंने एक दैत्याकार सांप स्टिनसन तट पर देखा। इस सांप को तीन अन्य लोगों ने भी देखा, जिनमें एक ट्रक ड्राइवर भी शामिल है। इस सांप की लंबाई 30 मीटर और सिर घोड़े जैसा बताया गया। ट्रक ड्राइवर ने बताया की इसके पीठ पर दो कूबड़ थे। उसने इस जीव को विशालकाय ईल मछली की तरह बताया। ये जीव बाद में सेन फ्रान्सिस्को और आखिरी में कोस्टा मेसा में देखा गया। 5 अप्रैल, 1983 को ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में इसी इलाके में नाव से घूम रहे यात्रियों के अनुभव छपे। यात्रियों ने बताया कि एक बड़ा काला सांप पानी से करीब 3 मीटर की उचांई तक उछलता देखा गया। उसके नुकीले दांत और 4 फीट लंबा मुंह था। इसकी पूंछ 18 मीटर लंबी बताई गई।
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3 . केप साटेनो (Cape Satano) :
19 जुलाई, 1879 को ‘द ग्राफिक्स’ में एक लेख छपा जो कैप्टन डेविडसन के बनाए स्केच पर आधारित था। इस स्केच का वर्णन करते हुए कैप्टन डेविडसन ने बताया कि उन्होंने केप सेटानो से 14 किलोमीटर दूर एक व्हेल को उछलते हुए देखा था। उस वक्त जहाज की व्हेल से दूरी करीब 400 मीटर थी। व्हेल की पूंछ पर कुछ लिपटा हुआ था। व्हेल ने जब दूसरी छलांग लगाई तो वहां मौजूद दो लोगों ने व्हेल को एक सांप जैसे जीव की जकड़ में देखा। इस जीव का रंग गहरा काला था। हालांकि, अंत में उन्होंने ये भी लिखा कि हो सकता है, ये पानी की झपझपाहट से पैदा हुआ कोई भम्र हो। विशालकाय सांप द्वारा किसी व्हेल पर हमला करने का ये पहला मामला नहीं था। 1876 में कैप्टन जॉर्ज ड्रेवर ने भी ब्राजील के उत्तरी तट पर एक अजीब-सा जीव देखा जो व्हेल से लड़ रहा था। उन्होंने इस जीव का स्केच भी बनाया, लेकिन ये किसी भी देखे गए जीव से बेहद अलग और विचित्र था।
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4 . एचएमएस डेडोलस (HMS Daedalus) :
सेंट हेलेना की यात्रा कर रहे जहाज एचएमएस डेडोलस के क्रू सदस्यों ने 6 अगस्त, 1848 को एक समुद्री दैत्य देखा। केप ऑफ गुड होप से सेंट हेलेना के बीच कई सम्मानित परिवारों के सदस्यों ने भी इस जीव को देखने का दावा किया। विशालकाय समुद्री जीवों के दिखने का शायद ये अब तक का सबसे प्रचलित किस्सा है। अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में कैप्टन पीटर ने लिखा कि सांप का मुंह करीब 122 सेंटीमीटर (4 फीट) का था। और करीब 18 मीटर (60 फीट) लंबा शरीर पानी में दिख पा रहा था। उन्होंने लिखा कि वह इतना करीब था कि उसका शरीर साफ दिखाई पड़ रहा था। सांप की चौड़ाई 30-40 सेंटीमीटर ( 15-16 इंच) थी। उसके शरीर का रंग भूरा, गले पर पीला-सफेद और सिर पर कुछ बाल थे। कुछ अखबारों ने जीव के नाक, आंख और मुंह को छिपकली जैसा बताया। प्रत्यक्षदर्शियों के बताने के आधार पर जीव के कुछ चित्र बनाए गए, जिन्हें ‘इलस्ट्रेशन लंदन न्यूज’ ने छापा जो काफी प्रसिद्ध हुए।
5 . हालिफैक्स का समुद्री सांप (The Halifax Sea Serpent) :
25 जुलाई, 1825 को कुछ लोगों ने हालिफैक्स बंदरगाह पर यात्रा करते समय एक विशालकाय समुद्री सांप को देखा। इस सांप की लंबाई लगभग 18 मीटर (60 फीट) बताई गई। नोवा स्कोटिआ म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के जीव विज्ञानी एंड्रयू हेब्दा ने अनुसार, पिछले 140 सालों में सांपों के दिखने के 31 मामले सामने आए हैं, जिनमें सबसे ताजा 2007 का है। हालिफैक्स में विशालकाय सांपों के दिखने की पहली घटना 15 मई, 1883 की है। ब्रिटिश सेना के कई सदस्य सेंट मारगारेट और माहोना की खाड़ी के बीच मछली पकड़ने गए। इसी दौरान उन्होंने एक विशाल सांप के मुंह को पानी से बाहर आते देखा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सांप के मुंह की लंबाई 2 मीटर (6 फीट) थी और पानी में सांप का 25 से 30 मीटर लंबा शरीर दिख रहा था।
कई लोगों का मानना है कि जब समुद्र में 8 मीटर लंबी (26 फीट) ‘ओर फिश’ हो सकती है तो इन दैत्याकार सांपों का होना भी संभव है। विशालकाय ‘ओर फिश’ को अक्सर लोग ‘द किंग ऑफ हैरिंग्स’ कहते हैं। ये धरती पर मौजूद सबसे विशाल हड्डीदार मछली प्रजाति है। विशेषज्ञों के अनुसार, इनकी लंबाई 16 मीटर तक हो सकती है।
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6 . प्रिंस के समुद्री सांप (Prince’s Sea Serpent) :
नार्वे का समुद्री तट ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहां समुद्री सांपों को देखना शुभ समझा जाता था। यहां
समुद्री सांपों से जुड़ी सबसे रोचक घटना 1818 में घटी, जब नहान्ट जिले के मार्शल जेम्स प्रिंस ने कम से कम सात बार दैत्याकार सांपों के दिखने का दावा किया। अखबारों में उनके नाम पर काफी खबरें छपीं। जेम्स प्रिंस ने वहां के जज डेविस को खत लिख कर सांप के किस्से बताए। उन्होंने जज को लिखा कि उन्होंने 15 मीटर (50 फीट) लंबा सांप देखा, जिसकी पीठ पर 13 गुच्छे थे। ये सांप हर 8 मिनट में समुद्र की सतह पर सांस लेने आ रहा था। प्रिंस ने उस जीव का पीछा किया। जब वे इस जीव के करीब पहुंचे तो वे उसकी चमकती हुई आंख देखकर चकित रह गए। हालांकि जब प्रिंस ने उस जीव का चित्र बनाया तो उसकी मछली जैसी पूंछ और सांप की बजाए बतख जैसा मुंह बनाया। जाहिर है, प्रिंस चित्रकार की तुलना में अच्छे लेखक थे।
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7 . मानेड के समुद्री सांप (The Maned Sea Serpent) :
बिशप पोंटोपिडन भले ही सांपों का वर्णन करने वाले प्राचीन दस्तावेजों पर विश्वास न करते हों, पर वे विशालकाय मछलियों और समुद्री राक्षसों पर जरूर विश्वास करते थे। उन्होंने ‘नेचुरल हिस्ट्री ऑफ नार्वे’ जैसी किताबों में अपने अनुभवों को साझा किया है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण किताब 1746 में लिखी ‘मेनेड सी सर्पेंट’ है।
इन भयानक जीवों का जिक्र कैप्टन लॉरेंस द फैरी के लिखे खतों में भी मिलता है। कैप्टन द फैरी जहाज पर बैठे किताब पढ़ रहे थे, तभी उन्होंने जहाज के लोगों को शोर करते सुना। एक यात्री ने उन्हें बताया कि उसने एक बड़ा सांप देखा है। कैप्टन ने सांप का पीछा करने और उसे गोली मारने के आदेश दिए। कैप्टन ने लिखा, “शायद हमारी गोलियों ने सांप को घायल कर दिया था। पानी गाढ़ा और लाल हो गया था, हमारी उससे दूरी काफी कम थी।” सांप का मुंह काफी बड़ा और घोड़े जैसा दिख रहा था। उसकी आंखें काली और गर्दन पर सफेद बाल थे।
कैप्टन ने सांप को अपने शरीर की 7-8 कुडंलिया बनाते देखा। इन सांपों के चित्र पादरी हांस स्ट्रोम ने बनाए। उन्होंने दो प्रत्यक्षदर्शियों के विवरण के आधार पर ये चित्र बनाए। इन प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सांप कुछ ऐसी हरकतें कर रहा था, जो आम सांप के लिए करना असंभव है। सांप पानी में अजीब लहरदार तरीके से घूम रहा था।
8 . ऐजेडे के समुद्री सांप (Egede’s Sea Serpent) :
हांस पाउलसेन ऐजेडे अपने मिशनरी कार्य के लिए पूरे ग्रीनलैंड में जाने जाते थे। गोथाब में रहने वाले
ऐजेडे ने 1722 में अपने साथी को एक खत लिखा, जो 1729 में प्रकाशित हुआ और बाद में इतना
प्रसिद्ध हुआ कि इसी साल खत का जर्मन भाषा में अनुवाद भी किया गया। ये ग्रीनलैंड का पहला
लिखित दस्तावेज भी है। ऐजेडे ने एस्कीमो भाषा में लिखी पहली किताब ‘ब्यूटीफुल एंड मेटिकुलस
मैप’ भी प्रकाशित की। 1734 में जब उन्होंने एक विशाल समुद्री सांप देखने का जिक्र किया तो
इस खबर ने लोगों का काफी ध्यान खींचा। उन्होंने लिखा कि क्रू के सदस्यों के साथ उन्होंने एक
बड़े थूथन वाला विशालकाय सांप देखा, जो व्हेल की तरह पानी से फुहार छोड़ रहा था। यहां भी ऐसे
सांपों का दिखना अशुभ माना जाता था। मिस्टर बिंग और हैनरी ली की किताब ‘द ग्रेट सी-सरपेंट’ में भी इन सांपों के बारे में लिखा है।
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9 . ग्लॉस्टर के समुद्री सांप (Gloucester’s Sea Serpent) :
अमेरिकी इतिहास में समुद्री सांपों की पहली घटना 1639 में मेसाचुसेट्स के केप एन में सामने आई। इन सांपों का नाम बोस्टन के बंदरगाह ‘ग्लास्टर’ पर रखा गया। इन दैत्याकार सांपों का जिक्र 1641 में जॉन लोसेलेन की किताब ‘एन अकाउंट ऑफ टू वोयागेस टू न्यू इंग्लैंड’ में मिलता है। इसमें सांपों का वर्णन करते हुए जॉन ने लिखा, “एक सांप पत्थर पर कुंडली मारे बैठा था। एक नाव में जा रहे एक अंग्रेज और दो भारतीयों ने उस सांप पर बंदूक से गोली चलाने की सोची, लेकिन उनमें से एक भारतीय ने उन्हें रोककर कहा कि अगर इस सांप पर गोली का असर नहीं हुआ तो वो हम पर हमला कर देगा।’’ तीन साल बाद औबादिहा टरनर ने भी मेसाचुसेट्स के पास 17 मीटर ( 90 फीट) लंबा सांप देखने की बात कही। ऐसी छिट-पुट घटनांए 18 से 19वीं शताब्दी तक कई बार सामने आईं। 1917 में लिनेन सोसाइटी ऑफ न्यू इंग्लैंड ने इस जगह की वैज्ञानिक जांच शुरू की। अपनी जांच के दौरान उन्हें केप एन तट के पास एक मरा हुआ सांप मिला, जिसे उन्होंने ‘स्कैलप्ड’ नाम दिया, क्योंकि उसके पीठ पर सीप जैसा आकार बना था। उन्होंने इसे नई प्रजाति मानने की बजाय आम, लेकिन विकृत सांप बताया।
10- ओलाउस के दैत्याकार सांप (Olaus’s Sea Serpent) :
ओालाउस मेगनस स्वीडन के लेखक और कैथोलिक चर्च के पादरी थे। इन्होंने अपनी किताब
“हिस्टोरिआ दे गेंटिबुस” लिखी जिसमें इन सांपों का वर्णन है। इस किताब में एक सांप की लंबाई 23 मीटर (75 फीट) तक बताई है। इस सांप को 1522 में मो नाम के एक आइलैंड के पास देखा गया था। इन सांपों का देखा जाना घोर आपदाओं के आने का संकेत माना जाता था। 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुए राजा के निर्वासन और बिशपों को मिली प्रताड़ना के पीछे
इन सांपों का दिखना ही कारण माना जाता था। मेगनस की सबसे लोकप्रिय किताब 1539 में लिखी ‘कारटा मारिना’ है। इस किताब की खूबी इसमे बने स्कैन्डेविया के सटीक नक्शे थे जो उस वक्त यूरोप में बने किसी भी नक्शे से अच्छे माने जाते थे। नक्शा बनाने वालों ने इस किताब में इन खतरनाक सांपों के बारे में लिखा है। औलाउस के समुद्री सांपों में सबसे बदनाम सांप ‘सी औरम’ है। इस सांप का रंग गहरा लाल या काला बताया गया। जहाज पर मौजूद कुछ चित्रकारों ने इसका चित्र बनाया। एक चित्र में सांप को नारमन जहाज के एक क्रू मेंबर को अपने मुंह में पकड़े दिखाया गया है। मेगनस ने इस चित्र का वर्णन करते हुए लिखा कि ये सांप 200 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा है और गुफाओं में रहना पसंद करता है। इन सांपों की गर्दन पर हाथ जितने लंबे बाल हैं और चमकदार आंखें हैं। इन सांपों को देखने के बाद मेगनस ने किसी बुरी घटना के होने की आशंका जताते हुए लिखा था, “शायद राजा की मौत या कोई युद्ध होने वाला है।’’ 17 वीं शताब्दी तक मेगनस की किताबों पर सभी यकीन करते रहे, लेकिन उसके बाद कुछ दूसरे लेखकों ने इस पर सवाल उठाए और कुछ ने तो इसे सिरे से नकार दिया।
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