मोहनजोदड़ो से जुड़े रोचक तथ्य | Mohenjo-daro Facts in Hindi
- मोहनजोदड़ो Mohenjo-daro विश्व की चार प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में सबसे ज्यादा विशाल है जो 12 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में वर्तमान पाकिस्तान , अफगानिस्तान और भारत तक फैला हुआ था |
- इस एतेहासिक शहर का असली नाम मोहनजोदड़ो Mohenjo-daro नही है लेकिन वास्तव में नाम क्या है ये भी कोई नही जानता है | वैसे मोहनजोदड़ो एक सिंधी शब्द है जिसका अर्थ “मुर्दों का टीला” होता है जिस शायद इतिहासकारों ने खोज के बाद नाम दिया होगा |
मोहनजोदड़ो से जुड़े रोचक तथ्य
Mohenjo-daro Facts in Hindi
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास- 1920 में भारतीय पुरातत्व विभाग के आर.डी,बनर्जी ने सबसे पहले इस जगह का दौरा किया था |
- पुरातत्ववेत्ता आज भी Mohenjo-daro मोहनजोदड़ो की लिपि को नही समझ पाए है और आज भी ये एक रहस्य है कि मोहनजोदड़ो में कौनसी भाषा बोली जाती थी |
- मोहनजोदड़ो Mohenjo-daro को विश्व का सबसे ज्यादा सुनियोजित शहर माना जाता है जिसमे वर्तमान नगर निर्माण के कई ऐसे उदाहरण मिलते है जिन्हें हम आज भी उपयोग करते है |
- मोहनजोदड़ो के सभ्यता में लोगो ने कीमती पत्थरों से आभूषण बनाने की कला को सीख लिया था जिसके परिणामस्वरूप मोहनजोदड़ो की खुदाई में कई पत्थर निर्मित आभुषनो के अवशेष मिले है |
- मोहनजोदड़ो की सभ्यता में स्नानघर काफी बड़े हुआ करते थे जो 8 फीट गहरे , 23 फीट चौड़े और 39 फीट लम्बे होते थे | पुराने जमाने में अच्छी तरह नहाने को आवश्यक माना जाता था |
- इस 5000 साल पुरानी सभ्यता की आबादी शायद 40000 से भी ज्यादा थी |
- मोहनजोदड़ो की सभ्यता के दौरान बड़े बड़े अन्न भंडार मिले है जिससे पता चलता है उस दौर में उन्होंने अन्न को सहेजकर साल भर इस्तेमाल करने का तरीका सीख लिया था |
- Mohenjo-daro मोहनजोदड़ो की सभ्यता से पता चलता है उस शहर परराजतन्त्र नही हुआ करता था बल्कि इसके बजाय चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा शहर को चलाया जाता था |
- सिन्धु घाटी सभ्यता में 1500 ऐसी जगह मिली है जहा इन्सान रहते थे और अवशेषों से पता चलता है कि उस दौर में युद्ध का कोई नामोनिशान नही हुआ करता था |
- सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन का कारण आज तक किसी को पता नही है कुछ लोग आर्यों को उनकी पतन का कारण मानते है लेकिन यह अभी तक सिद्ध नही हुआ है | इतिहासकार रेडियोएक्टिव विकिरणों को उनकी मौत का कारण बताते है |
- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगो ने शतरंज खेलना सीख लिया था जिसके प्रमाण अवशेषों के रूप में मिलते है |राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
- Mohenjo-daro मोहनजोदड़ो के कई अवशेषों का आज भी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित किया हुआ है |
- Mohenjo-daro मोहनजोदड़ो के संरक्षण का कार्य दिसम्बर 1996 से बंद पड़ा है क्योंकि उन्हें किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संघठन से कोई सहायता नही मिल रही है |
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