दुनिया के 10 अजीबो गरीब रस्मोरिवाज : 10 Bizarre Rituals Around The World
10 Bizarre Rituals Around The World In Hindi :
दुनिया के हरेक हिस्से से कोई न कोई प्राचीन सभ्यता जुडी हुई है जो कि आज
भी जिन्दा है। इन सभ्यताओं के अपने रीती रिवाज़ है जिनमे से कुछ तो बहुत
ही विचित्र, अजीबो गरीब और दिल दहलाने वाले है। हमने आपके लिए 10 ऐसे ही
अजीबो गरीब रस्मोरिवाज (Bizarre Rituals ) का एक जगह संकलन किया है।
मृत व्यक्ति की अस्थियां को खाने की परंपरा (Endocannibalism) :-
यह जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ आदिवासी समुदाय अपने ही मृत रिश्तेदारों की अस्थियां खाते हैं। शव को जलाने के बाद बची हड्डियां और राख का सेवन किया जाता है। इसके लिए वह केले के सूप का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से यह लोग अपनों के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं
नरभक्षण और शवभक्षण ( Eating Human Body ) :-
भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहां से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं
बॉडी मॉडिफिकेशन (Body Modification) :-
पपुआ न्यूगिनी कनिंनगारा जैसी डरावनी रस्म निभाते हैं। इसमें वह शरीर को खुरचकर डिजाइन बनाते हैं, जिससे यह निशान जीवन भर रह जाते हैं। वहीं, हॉज टम्बरान (आत्माओं का घर) नामक रस्म में किशारों को आत्माओं के घर अकेले दो महीने तक छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उन्हें मर्द बनाने की परंपरा निभाई जाती है। उनके शरीर पर बांस के लकड़ी से छोटे खूनी निशान बनाए जाते हैं। यह निशान इस समुदाय में मर्दानगी की निशानी है।
शिया मुस्लिम को शोक (Ashura) :-
इतिहास में कई सभ्यताओं में रक्तपात के उदाहरण मिलते हैं। दुनियाभर में शिया मुस्लिम पैगंबर साहब के पोते इमाम हुसैन की मौत में शोक व्यक्त करते हैं। हुसैन की मौत शिया मुस्लिम द्वारा 7वीं सदी में करबला के युद्ध में हुई थी। सभी शिया हुसैन की याद में शोक करते हुए कहते हैं, हम उस युद्ध में क्यों नहीं थे, अगर होते तो हुसैन को बचा लेते। सभी शिया खुद को पाप का भागीदार मानते हैं। वह अपने ऊपर अत्याचार करते हैं और खुद को लहूलुहान करते हैं।
बंजी जंपिंग (Bungee Jumping) :-
पेसिफिक द्वीपसमूह पर स्थित बनलेप गांव में बड़ी अजीब रस्म निभाने की परंपरा है। कोल नामक सह परंपरा लैंड डायविंग या बंजी जंपिंग कहलाती है। ग्रामीण लोग ड्रम बजाते हैं, नाचते हैं और गाते हैं। वह लकड़ी के ऊंचे टॉवर से पैरों में रस्सी में बांधकर छलांग लगाते हैं। कई बार इसमें हड्डी टूटने का खतरा रहता है। इनकी मान्यता है कि जितनी ऊंचाई से यह कूदेंगे, भगवान उतना ही आशीर्वाद देंगे।
जादू और वशीकरण (Magic and Hypnotism) :-
वोडून पश्चिमी अफ्रीका के हिस्से का एक धर्म है। इनकी एक रस्म के अनुसार, इस समुदाय के लोग जंगलों में तीन दिन तक बिना खाने और पानी के रहते हैं। यहाँ यह आत्माओं से खुद को जोड़ते हैं। लोगों का मानना है कि उनका शरीर बेहोश हो जाता है।
आकाश में दफन (Sky Burial) :-
तिब्बत के बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र रस्म झाटोर हजारों सालों से निभाते आ रहे हैं। इसके स्काय बरिल भी कहते हैं। यह मृत शरीर को खुले आसमान में गिद्धों को दूसरे पक्षियों के लिए रख देते हैं। तिब्बत में मान्यता है कि इससे इंसान का पुर्नजन्म होगा। यहां मृत व्यक्ति के लाशा को टुकड़ों में काट कर सबसे ऊंची जगह फैला दिया जाता है।
आग पर से चलना (Walking on Fire) :-
मलेशिया के पेनांग में 9 देवताओं का त्यौहार मनाने की परंपरा है। यहां की धार्मिक मान्यता के मुताबिक, आग के अंगारों पर चलने का चलन है। विश्वास है कि इससे यह आग से निकल कर पवित्र हो जाएंगे और बुरी शक्तिओं के बंधन से मुक्त हो जाएंगे। यह परम्परा भारत के भी कई हिस्सों में पायी जाती है।
मृत शरीर के साथ नाचना (Famadihana) :-
भले ही आप सोच कर थोड़ा हंसे, लेकिन यह सच है कि मेडागास्कर में आदमी के मरने के बाद त्यौहार जैसा माहौल होता है। फामाडिहाना यानी टर्निग ऑफ द बोन्स रस्म में लोग दफन शवों को फिर से निकाल उनकी यात्रा निकालते हैं। इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं। मस्जिद में कब्रों के नजदीक जोर से म्यूजिक बजाते हैं। इसी अजीबोगरीब परंपरा को दो साल से सात साल के बीच में किया जाता है।
शरीर को भेदना (Face Piercing) :-
थाईलैंड के फुकेट में हर साल वेजेटैरियन फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में एक रस्म निभाई जाती है जो कि सबसे ज्यादा हिंसात्मक और दर्दनाक रस्म है। इसमें भक्त लोग चाकू, भाला, बंदूक, सुई, तलवारें और हुक जैसी चीजों से अपने शरीर को भेदते हैं। इनका विश्वास है कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं।
यह जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ आदिवासी समुदाय अपने ही मृत रिश्तेदारों की अस्थियां खाते हैं। शव को जलाने के बाद बची हड्डियां और राख का सेवन किया जाता है। इसके लिए वह केले के सूप का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से यह लोग अपनों के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं
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भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहां से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं
पपुआ न्यूगिनी कनिंनगारा जैसी डरावनी रस्म निभाते हैं। इसमें वह शरीर को खुरचकर डिजाइन बनाते हैं, जिससे यह निशान जीवन भर रह जाते हैं। वहीं, हॉज टम्बरान (आत्माओं का घर) नामक रस्म में किशारों को आत्माओं के घर अकेले दो महीने तक छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उन्हें मर्द बनाने की परंपरा निभाई जाती है। उनके शरीर पर बांस के लकड़ी से छोटे खूनी निशान बनाए जाते हैं। यह निशान इस समुदाय में मर्दानगी की निशानी है।
इतिहास में कई सभ्यताओं में रक्तपात के उदाहरण मिलते हैं। दुनियाभर में शिया मुस्लिम पैगंबर साहब के पोते इमाम हुसैन की मौत में शोक व्यक्त करते हैं। हुसैन की मौत शिया मुस्लिम द्वारा 7वीं सदी में करबला के युद्ध में हुई थी। सभी शिया हुसैन की याद में शोक करते हुए कहते हैं, हम उस युद्ध में क्यों नहीं थे, अगर होते तो हुसैन को बचा लेते। सभी शिया खुद को पाप का भागीदार मानते हैं। वह अपने ऊपर अत्याचार करते हैं और खुद को लहूलुहान करते हैं।
पेसिफिक द्वीपसमूह पर स्थित बनलेप गांव में बड़ी अजीब रस्म निभाने की परंपरा है। कोल नामक सह परंपरा लैंड डायविंग या बंजी जंपिंग कहलाती है। ग्रामीण लोग ड्रम बजाते हैं, नाचते हैं और गाते हैं। वह लकड़ी के ऊंचे टॉवर से पैरों में रस्सी में बांधकर छलांग लगाते हैं। कई बार इसमें हड्डी टूटने का खतरा रहता है। इनकी मान्यता है कि जितनी ऊंचाई से यह कूदेंगे, भगवान उतना ही आशीर्वाद देंगे।
जादू और वशीकरण (Magic and Hypnotism) :-
वोडून पश्चिमी अफ्रीका के हिस्से का एक धर्म है। इनकी एक रस्म के अनुसार, इस समुदाय के लोग जंगलों में तीन दिन तक बिना खाने और पानी के रहते हैं। यहाँ यह आत्माओं से खुद को जोड़ते हैं। लोगों का मानना है कि उनका शरीर बेहोश हो जाता है।
आकाश में दफन (Sky Burial) :-
तिब्बत के बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र रस्म झाटोर हजारों सालों से निभाते आ रहे हैं। इसके स्काय बरिल भी कहते हैं। यह मृत शरीर को खुले आसमान में गिद्धों को दूसरे पक्षियों के लिए रख देते हैं। तिब्बत में मान्यता है कि इससे इंसान का पुर्नजन्म होगा। यहां मृत व्यक्ति के लाशा को टुकड़ों में काट कर सबसे ऊंची जगह फैला दिया जाता है।
आग पर से चलना (Walking on Fire) :-
मलेशिया के पेनांग में 9 देवताओं का त्यौहार मनाने की परंपरा है। यहां की धार्मिक मान्यता के मुताबिक, आग के अंगारों पर चलने का चलन है। विश्वास है कि इससे यह आग से निकल कर पवित्र हो जाएंगे और बुरी शक्तिओं के बंधन से मुक्त हो जाएंगे। यह परम्परा भारत के भी कई हिस्सों में पायी जाती है।
मृत शरीर के साथ नाचना (Famadihana) :-
भले ही आप सोच कर थोड़ा हंसे, लेकिन यह सच है कि मेडागास्कर में आदमी के मरने के बाद त्यौहार जैसा माहौल होता है। फामाडिहाना यानी टर्निग ऑफ द बोन्स रस्म में लोग दफन शवों को फिर से निकाल उनकी यात्रा निकालते हैं। इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं। मस्जिद में कब्रों के नजदीक जोर से म्यूजिक बजाते हैं। इसी अजीबोगरीब परंपरा को दो साल से सात साल के बीच में किया जाता है।
शरीर को भेदना (Face Piercing) :-
थाईलैंड के फुकेट में हर साल वेजेटैरियन फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में एक रस्म निभाई जाती है जो कि सबसे ज्यादा हिंसात्मक और दर्दनाक रस्म है। इसमें भक्त लोग चाकू, भाला, बंदूक, सुई, तलवारें और हुक जैसी चीजों से अपने शरीर को भेदते हैं। इनका विश्वास है कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं।
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