इस मंदिर में स्वयं सूर्य देव करते है शिवलिंग पर तिलक,अनोखा प्राचीन मंदिर !
Story of Gavi Gangadhareshwara Temple:
भारत में भगवान शिव के अनेको अद्भुत एवं अत्यंत प्रचीन मंदिर है जो भक्तो के लिए हमेशा से श्रद्धा के केंद्र बने हुए है. इन्ही मंदिरो में से एक भगवान शिव का अनोखा मंदिर दक्षिण बेंगलूर के गवीपुरम में स्थित है जहा स्वयं सूर्य देव की किरणे महादेव के शिवलिंग पर तिलक करती है. इस अद्भुत महिमा को देखने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु इस मंदिर में आते है तथा यह अत्यंत प्राचीन मंदिर माना जाता है. भगवान शिव के इस मंदिर को गवीपुरम गुफा तथा गवि गंगाधरेश्वर मंदिर के नामो से पुकार जाता है. इस मंदिर का वास्तुशिल्प देखने लायक है तथा यह इंडियन रॉक-कट आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 9वि शताब्दी में हुआ था तथा इसे मनोलिथिक रॉक से बनाया गया था. इस मंदिर को इस प्रकार से बनाया गया है की प्रत्येक वर्ष एक खास मोके पर सूर्य की रौशनी मंदिर के गर्भ गृह में रखे शिवलिंग पर पड़ती है.
मकर सक्रांति के अवसर पर इस मंदिर में भक्तो के जमावड़ा लगा रहता है क्योकि यही वह दिन होता जब सूर्य देव अपनी किरणे द्वारा महादेव के शिवलिंग पर तिलक करते है. सूर्य की रौशनी भगवान शिव की सवारी नंदीबेल के सींगो से होकर सीधे शिवलिंग पर पड़ती है, यह रौशनी शिवलिंग पर करीब एक घंटे तक पड़ती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण दिशा की ओर होता है. यह दुर्लभ नजारा प्रतिवर्ष मकर सक्रांति को ही देखा जा सकता है इस अद्भुत दृश्य को देख हम यह अनुमान लगा सकते है की हमारे प्राचीन मूर्तिकार खगोल विद्या व वास्तुशिल्प के ज्ञाता कितने अधिक जानकार थे.
यह केवल भगवान शिव के तीर्थ स्थल के लिए ही प्रसिद्ध नही बल्कि यहा अग्नि के देवता की भी एक दुलभ प्रतिमा स्थापित है जिसे देखने भी भक्त यहा आते है. भगवान शिव का मंदिर गवी गंगाधरेश्वर गुफा एक स्मारक है जो पुरातत्विक स्थल, अवशेष अधिनियम 1951 तथा कर्नाटक प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित है. गवीपुरम गुफा मंदिर भगवान शंकर और गवी गंगाधरेश्वर को समर्पित है तथा सूर्य की किरणों का शिवलिंग पर पड़ने वाले अद्भुत दृश्य के कारण बेंगलूर शहर में आकर्षण का कारण बना हुआ है. मंडप और गुफा के खिड़कियों से आती हुई सूर्य की रौशनी इस अनूठे और अद्भुत दृश्य का निर्माण करती है जो ऐसा प्रतीत होता है की सूर्यदेव शिवलिंग पर तिलक कर रहे हो !
Friday, 13 January 2017
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