Friday, 1 April 2016

श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई वंश का नाश Lord Krishna Death story in hindi

By: Secret On: 12:03
  • Share The Gag





  • महाभारत का युद्ध हुआ था, तब वे लगभग 56 वर्ष के थे। उनका जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था। इस मान से 3020 ईसा पूर्व उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में देह त्याग दी थी। कैसे पढ़े पूरी स्टोरी -

    भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता। अपने मामा कंस का वध करने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को कंस के कारागार से मुक्त कराया और फिर जनता के अनुरोध पर मथुरा का राजभार संभाला। कंस के मारे जाने के बाद कंस का ससुर जरासंध कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया। जरासंध के कारण कालयवन मारा गया। उसके बाद कृष्ण ने द्वारिका में अपना निवास स्थान बनाया और वहीं रहकर उन्होंने महाभारत युद्ध में भाग लिया। महाभारत युद्ध के बाद कृष्ण ने 36 वर्ष तक द्वारिका में राज्य किया।
    'ततस्ते यादवास्सर्वे रथानारुह्य शीघ्रगान, प्रभासं प्रययुस्सार्ध कृष्णरामादिमिर्द्विज। प्रभास समनुप्राप्ता कुकुरांधक वृष्णय: चक्रुस्तव महापानं वसुदेवेन नोदिता:, पिवतां तत्र चैतेषां संघर्षेण परस्परम्, अतिवादेन्धनोजज्ञे कलहाग्नि: क्षयावह:'। -विष्णु पुराण
    धर्म के विरुद्ध आचरण करने के दुष्परिणामस्वरूप अंत में दुर्योधन आदि मारे गए और कौरव वंश का विनाश हो गया। महाभारत युद्ध के पश्चात सांत्वना देने के उद्देश्य से भगवान श्रीकृष्ण गांधारी के पास गए। गांधारी अपने 100 पुत्रों की मृत्यु के शोक में अत्यंत व्याकुल थीं। भगवान श्रीकृष्ण को देखते ही गांधारी ने क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि तुम्हारे कारण जिस प्रकार से मेरे 100 पुत्रों का नाश हुआ है, उसी प्रकार तुम्हारे वंश का भी आपस में एक-दूसरे को मारने के कारण नाश हो जाएगा।

    भगवान श्रीकृष्ण ने माता गांधारी के उस शाप को पूर्ण करने के लिए अपने कुल के यादवों की मति फेर दी। इसका यह मतलब नहीं कि उन्होंने यदुओं के वंश के नाश का शाप दिया था। सिर्फ कृष्ण वंश को शाप था। महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। कृष्ण द्वारिका में ही रहते थे। पांडव भी युधिष्ठिर को राज्य सौंपकर जंगल चले गए थे। एक दिन अहंकार के वश में आकर कुछ यदुवंशी बालकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। गांधारी के बाद इस पर दुर्वासा ऋषि ने भी शाप दे दिया कि तुम्हारे वंश का नाश हो जाए। उनके शाप के प्रभाव से कृष्ण के सभी यदुवंशी भयभीत हो गए। इस भय के चलते ही एक दिन कृष्ण की आज्ञा से वे सभी एक यदु पर्व पर सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में आ गए। पर्व के हर्ष में उन्होंने अति नशीली मदिरा पी ली और मतवाले होकर एक-दूसरे को मारने लगे। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर कुछ ही जीवित बचे रह गए।

    एक कथा के अनुसार संयाग से साम्ब के पेट से निकले मूसल को जब भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से रगड़ा गया था तो उसके चूर्ण को इसी तीर्थ के तट पर फेंका गया था जिससे उत्पन्न हुई झाड़ियों को यादवों ने एक-दूसरे को मारना शुरू किया था। ऋषियों के श्राप से उत्पन्न हुई इन्हीं झाड़ियों ने तीक्ष्ण अस्त्र-शस्त्रों का काम किया ओर सारे प्रमुख यदुवंशियों का यहां विनाश हुआ।

    महाभारत के मौसल पर्व में इस युद्ध का रोमांचकारी विवरण है। सारे यादव प्रमुख इस गृहयुद्ध में मारे गए। बचे लोगों ने कृष्ण के कहने के अनुसार द्वारका छोड़ दी और हस्तिनापुर की शरण ली। यादवों और उनके भौज्य गणराज्यों का अंत होते ही कृष्ण की बसाई द्वारका सागर में डूब गई। भगवान कृष्ण इसी प्रभाव क्षेत्र में अपने कुल का नाश देखकर बहुत व्यथित हुए। वे वहीं रहने लगे। उनसे मिलने कभी-कभार युधिष्ठिर आते थे।

    SHRI krishna ki death kaise hui ghatna in hindi

    एक दिन वे इसी प्रभाव क्षेत्र के वन में एक पीपल के वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में लेटे थे, तभी 'जरा' नामक एक बहेलिए ने भूलवश उन्हें हिरण समझकर विषयुक्त बाण चला दिया, जो उनके पैर के तलुवे में जाकर लगा और भगवान श्रीकृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर देह त्याग दी। महाभारत युद्ध के ठीक 36 वर्ष बाद उन्होंने अपनी देह इसी क्षेत्र में त्याग दी थी। अंत में कृष्ण के प्रपौत्र वज्र अथवा वज्रनाभ द्वारिका के यदुवंश के अंतिम शासक थे, जो यदुओं की आपसी लड़ाई में जीवित बच गए थे। द्वारिका के समुद्र में डूबने पर अर्जुन द्वारिका गए और वज्र तथा शेष बची यादव महिलाओं को हस्तिनापुर ले गए। कृष्ण के प्रपौत्र वज्र को हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया। वज्रनाभ के नाम से ही मथुरा क्षेत्र को ब्रजमंडल कहा जाता है।

    कलियुग का समय अंत से जुड़ी बातें kalyug hinduism

    By: Secret On: 11:28
  • Share The Gag
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण में बतलाया है kali yuga start OR end के बारे में हम कुछ अंश बताते हे अभी कलयुग चल रहा है, और द्वापरयुग के समाप्ति के बाद कुल 5000 बर्ष बीते है। अधर्म फेलना स्टार्ट हो गया हे अब इंसान एक दूसरे पर भरोशा करना बंद कर दिया है। तो ग्रंथो पे कैसे करेगा जब खुद पे तो विश्बास नही, कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी,युवावस्था समाप्त हो जाएगी। आने वाले समय में 20 की उम्र में ही आएगा बुढ़ापा , ग्रंथों में इस सृष्टि के आरंभ से अंत तक के काल को चार युगों यानी सतयुग, त्रैतायुग, द्वापरयुग व कलियुग में बांटा गया है। कलियुग के अंत समय को लेकर अनेक धर्म ग्रंथों मेंं कई रोचक बातें लिखी हैं, आइए जानते हैं इस युग से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातों को... ज्योतिष ग्रन्थ सूर्य सिद्धांत में बताया गया है की कलयुग 4,32,000 वर्ष तक रहेगा

    देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों की मानव सौर वर्षों में अवधि इस तरह है –
    सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
    त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
    द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
    कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)
    16 वर्ष की आयु में ही लोगों के बाल पक जाएंगे और वे 20 वर्ष की आयु में ही वृद्ध हो जाएंगे। युवावस्था समाप्त हो जाएगी। यह बात सच भी प्रतीत होती है,क्योंकि प्राचीन  काल में इंसानों की औसत उम्र करीब 100 वर्ष  रहती थी। उस काल में 100 वर्ष से अधिक जीने वाले लोग भी हुआ करते थे,लेकिन आज के समय में इंसानों की औसत आयु बहुत कम (60-70 वर्ष) हो गई है। भविष्य में भी इंसानों की औसत उम्र में कमी आने की संभावनाएं काफी अधिक हैं,क्योंकि प्राकृतिक वातावरण लगातार बिगड़ रहा है और हमारी
    दिनचर्या असंतुलित हो गई है।

    पुराने समय में लंबी उम्र के बाद ही बाल सफेद
    होते थे,लेकिन आज के समय में युवा अवस्था
    में ही स्त्री और पुरुष दोनों के बाल सफेद हो
    जाते हैं। जवानी के दिनों में बुढ़ापे के रोग होने लगते हैं।
    .
    पुरुष होंगे स्त्रियों के अधीन
    .
    भगवान नारायण ने स्वयं नारद को बताया है कि कलियुग में एक समय ऐसा आएगा जब सभी
    पुरुष स्त्रियों के अधीन होकर जीवन व्यतीत करेंगे।
    हर घर में पत्नी ही पति पर राज करेगी।
    पतियों को डाट-डपट सुनना पड़ेगी,पुरुषों की
    हालत नौकरों के समान हो जाएगी।
    .
    गंगा भी लौट जाएगी वैकुंठ धाम !
    .
    कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुण्ठ धाम लौट जाएगी।
    जब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे तब
    सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे।
    इंसान पूजन-कर्म,व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे।
    .
    अन्न और फल नहीं मिलेगा !
    .े
    एक समय ऐसा आएगा,जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे।
    धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी।
    गाय दूध देना बंद कर देगी।
    .
    समाज हिसंक हो जाएगा
    .
    कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा।
    जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी।
    रिश्ते खत्म हो जाएंगे।
    एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।
    .
    लोग देखने-सुनने और पढऩे लगेंगे
    अनैतिक चीजें !
    कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा।
    बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा।
    .
    स्त्री और पुरुष, दोनों हो जाएंगे अधर्मी !
    .
    कलियुग में ऐसा समय आएगा जब स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी।
    स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे।
    स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।
    .
    चोर और अपराधियों की संख्या बहुत
    अधिक हो जाएगी !
    .
    इस काल में चोर और अपराधियों की संख्या इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि आम इंसान ठीक से जीवन जी नहीं पाएगा।
    लोग एक- दूसरे के प्रति हिंसक हो जाएंगे और
    सभी के मन में पाप प्रवेश कर जाएगा।
    .
    कल्कि अवतार करेगा अधर्मियों का विनाश !
    .
    कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का
    कल्कि अवतार होगा।
    यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर
    जन्म लेगा।
    भगवान कल्कि सभी अधर्मियों का नाश करेंगे।
    भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त
    अधर्मियों का नाश कर देंगे और बहुत सालों तक विश्व पर शासन कर धर्म की स्थापना करेंगे।
    .
    युग के अंत में ऐसे आएगा प्रलय
    .
    कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी,जिससे चारों ओर पानी ही
    पानी हो जाएगा।
    समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों
    का अंत हो जाएगा।
    इसके बाद 1,70,000 वर्षों का संधिकाल (एक युग के अंत और दूसरे युग के प्रारंभ के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं)।
    संधिकाल के अंतिम चरण में एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी
    और पुनः सत्ययुग का प्रारंभ होगा।
    =============
    यह पुराण कहता है कि इस ब्रह्माण्ड में असंख्य
    विश्व विद्यमान हैं।
    प्रत्येक विश्व के अपने-अपने विष्णु, ब्रह्मा और
    महेश हैं।
    इन सभी विश्वों से ऊपर गोलोक में भगवान
    श्रीकृष्ण निवास करते हैं।
    इस पुराण के चार खण्ड हैं- ब्रह्म खण्ड,
    प्रकृति खण्ड,गणपति खण्ड और श्रीकृष्ण
    जन्म खण्ड।
    इन चारों में दो सौ अठारह अध्याय हैं।

    जब-जब धर्म की हानि होती है, ईश्वर अवतार लेकर अधर्म का अंत करते हैं। हिन्दू धर्म में इस संदेश के साथ अलग-अलग युगों में जगत को दु:ख और भय से मुक्त करने वाले ईश्वर के कई अवतारों के पौराणिक प्रसंग हैं। दरअसल, इनमें सच्चाई और अच्छे कामों को अपनाने के भी कई सबक हैं। साथ ही इनके जरिए युग के बदलाव के साथ प्राणियों के कर्म, विचार व व्यवहार में अधर्म और पापकर्मों के बढ़ने के भी संकेत दिए गए हैं।