अनसुलझे रहस्य:
समय : समय क्या नही है ?
जीवन समय मे कैद एक यात्रा है, कुछ पलों के अतिरिक्त जो स्वतंत्र होते है।
समय को समझने के लिये सिद्धांतो की गहराई मे जाने से पहले हम समय से
संबधित कुछ गलतफहमीयों को दूर करना होगा। ये गलतफहमीयाँ मुख्यतः समय के
प्रवाह से उत्पन्न है तथा काल-अंतराल मे द्रव्यमान द्वारा उत्पन्न वक्रता
को सही रूप से नही समझ पाने से उत्पन्न है।ब्लाक ब्रह्मांड
ब्लाक ब्रह्माण्ड के परिपेक्ष्य मे समय एक भूदृश्य(landscpae) के समान है, जिसमे भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल तीनो एक साथ भिन्न आयामो मे मौजूद हैं। इसका अर्थ है कि डायनासोर अभी भी है, साथ ही आपकी अपनी बहुत सी प्रतिलिपीयाँ है तथा सारा ब्रह्मांड भी भविष्यकाल और भूतकाल की विभिन्न अवस्थाओं मे उपस्थित है।यह विचित्र चित्र आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद(Theory of relativity) के सिद्धांत से उत्पन्न होता है जिसमे समय एक एक चतुर्थ आयाम(fourth dimension) है और उसकी दिशा भूतकाल से भविष्य काल की ओर है। साधारण सापेक्षतावाद मे दो घटनायें(Events) एक साथ एक ही समय मे नही हो सकती है, इससे एन्ड्रोमीडा विरोधाभास(Andromeda paradox) जैसी विसंगतियां उत्पन्न होती है।
हमारे जैसे व्यक्ति जो भौतिकशास्त्र मे विश्वास करते है भूतकाल, वर्तमान तथा भविष्यकाल मे अंतर जानते है, उन्हे ज्ञात है कि यह एक जिद्दी स्थायी भ्रम है। –अलबर्ट आइंस्टाइनसापेक्षतावाद सिद्धांत के काल अंतराल मे वक्रता को “उच्च आयाम मे आयी एक ऐसी वक्रता” के रूप मे माना जा सकता है जहां समय धीमा हो और समय एक भिन्न आयाम ना हो। इसे इस तथ्य से प्रमाणित भी किया जा सकता है जिसमे गति करते पिंड अपने साथ फोटानो को खींच कर समकालीनता(Simultaneity)* का संरक्षण करते है। इस व्यवहार को गतिशील प्लाज्मा मे फोटान त्वरण ( photon acceleration caused by moving plasmas)से सिद्ध भी किया जा चुका है।
समकालीनता
साथ दिये चित्र मे समकालीनता से संबधित एक वैचारिक प्रयोग को दर्शाया गया है। एक अंतरिक्षयान अत्यंत तीव्र गति से बायें से दायें दिशा मे गतिमान है। सापेक्षतावाद के नियम के अनुसार प्रकाशगति यान के अंदर निरीक्षक तथा यान से बाहर स्थिर निरीक्षक के लिये समान होगी।यान के सामने तथा पीछे से उत्सर्जित प्रकाश किरणे यान के अंदर वाले निरीक्षक के लिये यान के मध्य मे मिलेंगी। लेकिन यान बाह्य स्थिर निरीक्षक के लिये वे यान के पिछले भाग की ओर मिलेंगी।
इस जानकारी के प्रयोग से एक वैचारिक प्रयोग(thought experiment) किया जा सकता है जिसमे प्रकाश किरणो के यान के मध्य मे ना मिलने पर यान के मध्य एक बिल्ली को बंदूक से गोली मार दी जायेगी।
इसका अर्थ यह होगा कि यान के अंदर स्थित निरीक्षक के लिये बिल्ली जीवित होगी, लेकिन यान बाह्य स्थिर निरीक्षक के लिये बिल्ली मृत क्योंकि उसके अनुसार प्रकाश किरणे मध्य मे नही मीली हैं।
अब कौन सा निरीक्षक सही है ? बिल्ली जीवित है या मृत ? इस प्रश्न को सुलझाने का एक तरीका यह है कि यह मान कर चला जाये कि बंदूक दागने की प्रणाली गतिशील यान के नियमों का पालन करेगी। अर्थात बिल्ली जीवित है। इसका अर्थ यह भी है कि यान बाह्य स्थिर निरीक्षक के निरीक्षण निरर्थक हैं। इस घटना को भी इस तथ्य से प्रमाणित भी किया जा सकता है जिसमे गति करते पिंड अपने साथ फोटानो को खींच कर समकालीनता* का संरक्षण करते है और इस व्यवहार को गतिशील प्लाज्मा मे फोटान त्वरण से सिद्ध भी किया जा चुका है। अर्थात ब्रह्माण्ड को किसी खांचे की आवश्यकता नही है।
अगले लेखों मे हम देखेंगे कि समय अंतर के निर्माण से गतिशील पिंड किस तरह से अंतराल मे वक्रता उत्पन्न करते है। द्रव्यमान रहित कण(शून्य द्रव्यमान) समय अंतर मे गति की दिशा मे खिंचे जाते है, जिससे उस पिंड मे स्थित निरीक्षक द्वारा किया गया निरीक्षण ही अर्थपूर्ण होता है।
ब्लाक ब्रह्मांड की समस्याएं
समय के अपरिवर्ती सिद्धांत(static theory of time) से कुछ समस्यायें और विरोधाभाष उत्पन्न होते है जिनका विश्लेषण आवश्यक है। इस सिद्धांत मे समय भूदृश्य के ही जैसे समय-पटल मे पसरा हुआ है। इसके अनुसार भविष्य का आस्तित्व है और इसके अनुसार स्वतंत्र इच्छा/घटना का आस्तित्व संभव नही है। एक छोटे से समय के अंतराल मे भी पूरे ब्रह्माण्ड की हर वस्तु की असंख्य प्रतिलिपीयाँ होना चाहीये।इस ब्लाक ब्रह्माण्ड मे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति(Origin of Universe) की चर्चा व्यर्थ है क्योंकि ब्रह्माण्ड के हर भाग का आस्तित्व हमेशा ही रहा है। यदि कोई महाविस्फोट(Big Bang) हुआ है तब उसका आस्तित्व अभी भी होगा। यदि समयपटल(time-scape) का आस्तित्व है जिसमे भूतकाल, वर्तमानकाल और भविष्य फैले हुये है, तब हमे घटनाये घटित होते हुये और समय का प्रवाह कैसे महसूस होता है ? क्या हमारी चेतना(consciousness ) समय के प्रवाह मे बहती रहती है ? हमारी चेतना को इस प्रवाह मे गतिमान कौन बनाता है ? हम अपनी इच्छा से समय के प्रवाह मे स्वतंत्र रूप से क्यो आगे पिछे नही जा सकते है ? समय के प्रवाह मे चेतना की गति को समझने हमे एक नयी भौतिकी की आवश्यकता होगी।
“ब्लाक ब्रह्मांड” क्षद्म वैज्ञानिको(pseudo science) के लिये एक वरदान बन कर आया है। यह उन्हे भविष्य के अनुमान, ज्योतिष, स्वप्न जैसी चीजों की अपनी मर्जी से व्याख्या के लिये एक अवसर प्रदान करता है। इसी तरह के कुछ आइडीये क्वांटम भौतिकी के कुछ कारको की प्रकृति द्वारा विशिष्ट रूप से चयन की गयी राशि पर भी लगाये जाते है, क्वांटम भौतिकी के इन कारको की राशि यदि कुछ और हो तो ब्रह्माण्ड का आस्तित्व संभव नही है। हम एक ही ब्रह्माण्ड को समझने मे असमर्थ है, यदि अरबो व्यक्तियों द्वारा अरबो विकल्पो के चयन के द्वारा खरबो ब्रह्माण्ड के अस्तित्व की संभावना किसी को भी मानसिक रूप से अंसंतुलित करने के लिये पर्याप्त है। ऐसा इसलिये कि हर संभावना एक समांतर ब्रह्माण्ड को जन्म देती है, एक सिक्का उछालने पर दो समांतर ब्रह्माण्ड बन जाते है, एक मे सिक्का चीत होगा दूसरे मे पट!
समय यात्रीयों का अभाव
यदि ब्लाक ब्रह्माण्ड का आस्तित्व है, तब भविष्य की उन्नत सभ्यताओं का आस्तित्व भी होगा जोकि हमसे तकनीक मे लाखों अरबो वर्ष आगे होंगी। इनमे से कम से कम कुछ सभ्यतायें समय यात्रा मे सक्षम होना चाहीये। इन समय यात्राओं के कुछ प्रमाण भी होना चाहीये या समय यात्रा किसी अज्ञात भौतिकी के नियमो के अनुसार अंसभव होना चाहीये।यदि समय यात्रा संभव है ,तब कोई व्यक्ति भूतकाल मे जाकर अपने दादा की उनके विवाह से पहले हत्या कर सकता है, इस तरह से वह भविष्य मे परिवर्तन कर अपने आप को भी पैदा होने से रोक देता है। जब वह पैदा नही हुआ तो वह समय यात्रा कर भूतकाल मे कैसे पहुंचेगा ?
सक्षेंप
समय एक वास्तविक अद्भुत घटना है तथा वह कुछ तरह से किसी ब्लाक ब्रह्माण्ड के जैसे समयपटल पर पसरी प्रतित होती है लेकिन उसका ब्लाक ब्रह्माण्ड के जैसे प्रतित होना एक भ्रम मात्र है। केवल वर्तमान वास्तविक है, भूतकाल स्मृति है तथा भविष्य का आस्तित्व नही है। समकालीनता का संरक्षण होता है तथा प्लाज्मा की गति द्वारा फोटान त्वरण से प्रमाणित है। समय यात्रीयों के अनुपस्थिति तथा समय यात्रा से जुड़े विरोधाभाषो के फलस्वरूप ब्लाक ब्रह्माण्ड की अवधारणा संभव नही है।हमारा वर्तमान इतना छोटा होता है कि उसे किसी इकाई मे मापना संभव नही है। वर्तमान की तुलना किसी सीडी रीकार्डीग यंत्र की तीव्र सुई से की जा सकती है। भूतकाल और भविष्य का मापन संभव है, जैसे हम किसी टेप या सीडी की स्मृति का मापन कर सकते है। भूतकाल के लिए इस स्मृति मे आंकड़े होंगे, वही भविष्य के लिये वह कोरे कागज के जैसे खाली होगी। इसका अर्थ यह नही है कि समय का आस्तित्व नही है, यह सिर्फ यह दर्शाता है कि जिसे हम समय समझते है वह एक आभास या भ्रम मात्र है।
*समकालीनता(Simultaneity ): यह किसी एक ही पर्यवेक्षक के संदर्भ मे समान समय मे घटित होने वाली घटनाओं का गुणधर्म है।